Thursday, July 24, 2025
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Bihar Chunav में सीट शेयरिंग को लेकर NDA में हलचल तेज़, अब तक हुई दो अनौपचारिक बैठकें

बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। 2025 विधानसभा चुनावों (Bihar Chunav) में सीट शेयरिंग को लेकर NDA में हलचल तेज़ की आहट के साथ ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर हलचल तेज हो गई है।

अब तक एनडीए में शामिल दलों की दो अनौपचारिक बैठकें हो चुकी हैं जिनमें संभावित सीटों के बंटवारे पर चर्चा हुई, लेकिन कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।

Bihar Chunav: कौन-कौन शामिल रहा बैठकों में?

इन अनौपचारिक बैठकों में भारतीय जनता पार्टी, जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय लोक जनता दल और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख नेताओं ने भाग लिया। सूत्रों के अनुसार सभी दलों ने अपनी-अपनी सीटों की मांगोंबी को जोर-शोर से रखा लेकिन यह तय नहीं हो पाया कि किस दल को कितनी सीटें दी जाएंगी।NDA के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, हर सहयोगी दल चाहता है कि उसे पिछले चुनावों की तुलना में अधिक सीटें मिलें।

भाजपा का तर्क है कि वह केंद्र में सबसे बड़ी पार्टी है और उसका ग्रासरूट नेटवर्क सबसे मजबूत है।जदयू नीतीश कुमार की लोकप्रियता और सरकार में नेतृत्व की भूमिका के आधार पर बराबरी की हिस्सेदारी चाहती है।वहीं रालोजद और हम जैसी छोटी पार्टियां भी अब अपनी सीटें बढ़वाने की कोशिश में हैं।

Bihar Chunav: औपचारिक बैठक कब?

अब तक की जानकारी के अनुसार अगस्त के पहले सप्ताह में NDA की एक औपचारिक बैठक बुलाने की संभावना है, जिसमें सीट शेयरिंग पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है। इस बैठक में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से जुड़े बड़े नेता भी शामिल हो सकते हैं। माना जा रहा है कि इस बार सीटों का बंटवारा प्रदर्शन और क्षेत्रीय प्रभाव के आधार पर किया जाएगा।

Bihar Chunav: सीट शेयरिंग का संभावित फॉर्मूला?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा और जदयू के बीच 60:40 का फॉर्मूला लागू हो सकता है जबकि अन्य सहयोगी दलों को कुल सीटों में से 10% के आसपास हिस्सेदारी दी जा सकती है। हालांकि यह फॉर्मूला सभी को स्वीकार्य होगा या नहीं यह देखना बाकी है। सीट शेयरिंग भले ही एक आंतरिक मामला हो लेकिन इसका असर जनता के नजरिए और कार्यकर्ताओं के मनोबल पर सीधा पड़ता है।

यदि एनडीए इस मुद्दे को समय रहते सुलझा लेता है, तो यह विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। वरना असहमति का फायदा विपक्षी दल उठा सकते हैं.

 

 

 

 

 

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