Tejashwi Yadav पर भाजपा ने लगाए गंभीर आरोप

हाल ही में बिहार की राजनीति में उप-मुख्यमंत्री Tejashwi Yadav पर एक नए विवाद में फंसने के आरोप लगे हैं। भाजपा ने आरोप लगाया है कि तेजस्वी ने अपने सरकारी बंगले को खाली करते समय एसी, सोफा, कुर्सी, पर्दे, और लाइटों जैसे सामान गायब किए हैं। तेजस्वी यादव ने इन आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और कानूनी कार्रवाई की धमकी दी है।

Tejashwi Yadav पर पहले भी लग चुके हैं ऐसे आरोप

यह पहली बार नहीं है जब तेजस्वी यादव इस तरह के विवादों में फंसे हैं। इससे पहले भी जब वे सत्ता से बाहर हुए थे, तब उन पर सरकारी बंगले की सजावट पर जरूरत से ज्यादा खर्च करने और नियमों का उल्लंघन कर सुविधाओं को स्थापित करने के आरोप लगे थे। हालांकि, जांच के बाद उन्हें क्लीन चिट मिल गई थी, लेकिन मीडिया और विपक्षी दलों ने उन आरोपों को ज्यादा प्रमुखता से उठाया, जबकि क्लीन चिट को नजरअंदाज कर दिया।

अखिलेश यादव से तुलना

इस विवाद की तुलना उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी की जा रही है, जिन पर चुनाव हारने के बाद सरकारी बंगले से नल की टोटी तक ले जाने के आरोप लगे थे। दोनों नेता रिश्तेदार हैं, और इसे घटिया राजनीति का उदाहरण माना जा रहा है।

Tejashwi Yadav के छवि पर पड़ने वाला प्रभाव और मीडिया की भूमिका

तेजस्वी यादव पहले से ही भ्रष्टाचार के मामलों में अभियुक्त हैं, जिससे उनकी छवि पहले से ही कमजोर है। इस कारण लोग उनके ऊपर लगे नए आरोपों को आसानी से सच मान लेते हैं। इसके साथ ही, मीडिया बिना तथ्य जांचे, इस तरह की खबरों को बढ़ावा देता है, जिससे उसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होते हैं। मीडिया का कर्तव्य है कि वह सटीक तथ्य पेश करे, ताकि जनता तक सही जानकारी पहुंचे।

भवन निर्माण विभाग की चुप्पी और सरकारी खर्च पर सवाल

अब तक बिहार के भवन निर्माण विभाग, जो सरकारी बंगलों का देखरेख करता है, की ओर से कोई बयान नहीं आया है। इससे स्थिति और अधिक संदिग्ध बन रही है। साथ ही, यह तथ्य सामने आया है कि सरकारी बंगलों की रंगाई-पोताई और साज-सज्जा पर हर साल लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं। यह सवाल उठता है कि क्या भारत जैसे लोकतंत्र में, जहां करोड़ों लोग गरीबी में जी रहे हैं, इतने भारी खर्च को उचित ठहराया जा सकता है?

लोकतंत्र में सामंतशाही का सवाल

5 साल में रंगाई-पोताई और सजावट पर 50 लाख रुपये खर्च करना लोकतंत्र की मूल भावना के विपरीत सामंतशाही का प्रतीक है। कोई भी नेता इस पर विरोध नहीं जताता क्योंकि सभी इस सुविधा का लाभ उठाते हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि नेताओं और जनता के बीच असमानता किस हद तक बढ़ चुकी है।

बिहार के भवन निर्माण विभाग को इस मामले की सच्चाई सामने लानी चाहिए। अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो तेजस्वी यादव पर कार्रवाई होनी चाहिए। यदि आरोप झूठे हैं, तो यह साफ होना चाहिए कि उनके खिलाफ यह आरोप उनकी छवि को खराब करने के लिए लगाए गए थे।

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