बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा शुक्रवार को आयोजित की गई, लेकिन परीक्षा के दौरान पेपर वायरल होने की खबर ने माहौल गरमा दिया। वायरल पेपर को लेकर परीक्षा केंद्रों के बाहर हंगामा शुरू हो गया। अभ्यर्थियों ने आयोग पर पारदर्शिता में खामी का आरोप लगाते हुए जमकर नारेबाजी की।
BPSC Paper Leak: पेपर वायरल पर विवाद
परीक्षा शुरू होने के कुछ समय बाद सोशल मीडिया पर एक प्रश्न पत्र वायरल हो गया, जिससे परीक्षार्थियों में आक्रोश फैल गया। हालांकि, यह पेपर असली है या फर्जी, इसकी अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। आयोग ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं और छात्रों से अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है।
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BPSC Paper Leak: पटना में हंगामा
वायरल पेपर की खबर फैलते ही पटना में कई परीक्षा केंद्रों पर अभ्यर्थियों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि इस तरह की घटनाएं आयोग की साख पर सवाल खड़ा करती हैं। परीक्षा में शामिल कुछ छात्रों ने निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए परीक्षा रद्द करने की मांग की।
प्रशासन की कार्रवाई
स्थिति को काबू में करने के लिए पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर और अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर छात्रों को शांत कराने का प्रयास किया। अधिकारियों ने भरोसा दिलाया कि मामले की निष्पक्ष जांच होगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
परीक्षा में 4.83 लाख अभ्यर्थियों की भागीदारी
बीपीएससी की 70वीं प्रीलिम्स परीक्षा राज्यभर में आयोजित की गई थी। इस परीक्षा के लिए लगभग 4.83 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। परीक्षा का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने व्यापक व्यवस्था की थी, लेकिन वायरल पेपर की घटना ने परीक्षा प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आयोग की प्रतिक्रिया
बीपीएससी ने वायरल पेपर की पुष्टि करने से इनकार किया है और इसे अफवाह करार दिया है। आयोग के अधिकारियों ने कहा कि परीक्षा से जुड़ी कोई भी अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी, और दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी।
छात्रों की मांग
अभ्यर्थियों ने आयोग से यह सुनिश्चित करने की मांग की है कि परीक्षा प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी हो। कुछ छात्रों ने वायरल पेपर की सत्यता की जांच पूरी होने तक परिणाम स्थगित करने की भी मांग की है।
क्या कहता है यह मामला?
यह घटना एक बार फिर प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता और विश्वसनीयता के मुद्दे को उजागर करती है। अभ्यर्थी जहां अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं, वहीं आयोग पर यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि परीक्षा प्रक्रिया निष्पक्ष और विवाद रहित हो। अब देखना होगा कि जांच के बाद क्या निष्कर्ष निकलता है और आयोग इस विवाद से अपनी साख को कैसे बचाता है।