देश में हर दस वर्षों में होने वाली जनगणना को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। सूत्रों के मुताबिक अगले साल 2025 में जनगणना की शुरुआत होगी, जो एक साल तक चलेगी।
जानकारी के अनुसार इस बार जनगणना का चक्र भी बदलने वाला है। अब तक हर दस वर्षो में होने वाली जनगणना दशक के शुरुआत में होती आई थी, जैसे- 1991, 2001, और 2011। इसी तरह जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन कोविड महामारी के कारण इसे टालना पड़ा पड़ी था। कोविड के कारण अब 2025 के बाद 2035 और फिर 2045 और 2055 में जनगणना होगी।
कहा जा रहा है कि इस बार लोगों से उनका संप्रदाय भी पूछा जा सकता है। बता दें कि अभी तक जनगणना में धर्म और वर्ग पूछा जाता रहा है। साथ ही सामान्य, अनुसूचित जाति और जनजाति की भी गणना होती है।
केंद्र सरकार ने फिलहाल जनगणना के साथ जातिवार जनगणना कराने को लेकर औपचारिक फैसला नहीं किया है, लेकिन विपक्ष की ओर से जातिवार जनगणना को राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश को देखते हुए मोदी सरकार जातिवार जनगणना कराने का फैसला ले सकती है।
सूत्रों के मुताबिक जातिवार जनगणना होने की स्थिति में पहली बार देश में मुसलमानों और अन्य मतों के अनुयायियों की भी जातियां गिनी जाएंगी। इसको लेकर राजनीति भी शुरू हो चुकी है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक पोस्ट करते हुए लिखा है कि सरकार की अधिसूचना से ये साफ है कि 2021 में होने वाली जनगणना जो लंबे समय से विलंबित है, अब आखिरकार जल्द ही करवाई जाएगी। उन्होंने आगे लिखा है कि जनगणना के सर्वे से पहले दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है।
वहीं जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा- ‘जनगणना का हम स्वागत करते हैं, लेकिन जेडीयू की ओर से देश में जातीय जनगणना कराई जाने की मांग की जा रही है। अगर भारत सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाती है तो हम उसका स्वागत करेंगे।’
इसपर आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा- ‘जनगणना कार्य बहुत पहले हो जाना चाहिए था। हम चाहेंगे कि जनगणना का जो कार्य होगा उसमें जातीय जनगणना का एक कॉलम जोड़ा जाए। इससे शोषित, वंचित, दलित और आदिवासी की आर्थिक और सामाजिक स्थिति का पता चल जाएगा।’