हेमंत सोरेन(Hemant Soren) ने हूल दिवस पर X पर पोस्ट शेयर करते हुए कहा शोषकों और अत्याचारियों को लगा था आदिवासी हैं, यह कैसे लड़ पायेंगे, यह षडयंत्र का सामना कैसे कर पायेंगे! इन्हें दबा देंगे तो इनका जल-जंगल-जमीन हथिया लेंगे।
इसका जवाब भीषण संथाल हूल विद्रोह था। एक ही परिवार से अमर वीर शहीद सिदो-कान्हू, फूलो-झानो, चांद-भैरव ने असंख्य वीरों और वीरांगनाओं के साथ मिलकर शोषकों की ईंट से ईंट बजा दी थी।
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उन्होंने अपनी माटी के लिए संघर्ष करना-लड़ना स्वीकार किया, मगर कभी झुकना नहीं। हम झारखण्डवासियों की नसों में वीर पुरुखों का वही क्रांतिकारी खून बह रहा है। शोषकों के खिलाफ न हम कभी झुके थे, न कभी झुकेंगे। हूल विद्रोह जारी रहेगा…
वही कल्पना सोरेन ने हूल दिवस पर कहा हूल सदा ज़िंदा रहे, हर जुल्म के ख़िलाफ़, आदिवासी अस्मिता के, आप स्थायी आधार है।