Ranchi: Hemant Soren ने सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे को खटखटाया है. उन्होंने दायर याचिका में कहा कि एक धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर हाईकोर्ट फैसला नहीं सुना रहा है.
इसके बाद से उनके कदम राजनीतिक दायरे में चर्चा का विषय बन गए हैं. 28 फरवरी को न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ को सुरक्षित रखा गया था. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बताया कि हाईकोर्ट ने उनकी याचिका पर अपना फैसला 28 फरवरी को सुरक्षित रख लिया था लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं दिया गया है.
Hemant Soren News: हफ्ते का समय प्रवर्तन निदेशालय के पास
ईडी को एक सप्ताह का समय दिया गया है. हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किया गया था उन पर जमीन से जुड़े घोटाले के मामले में धन शोधन का आरोप है. पूर्व सीएम अभी रांची की बिरसा मुंडा जेल में हिरासत में हैं. इस मामले में हाईकोर्ट ने सोरेन की जमानत याचिका पर जवाब देने के लिए ईडी को एक और सप्ताह का समय दिया गया है.
8.86 एकड़ जमीन से जुड़ी जांच
रांची में 8.86 एकड़ जमीन से जुड़ी जांच शुरू हो गई है. ईडी के आरोप हैं कि यह जमीन अवैध रूप से कब्जे में ली गई थी। इस जांच में हेमंत सोरेन, प्रसाद और सोरेन के दावा के मुताबिक ‘फ्रंटमैन’ राज कुमार पाहन, हिलारियास कच्छप के साथ, और पूर्व मुख्यमंत्री बिनोद सिंह के सहयोगी बिनोद सिंह के खिलाफ है. 30 मार्च को विशेष पीएमएलए अदालत में आरोपपत्र दायर किया गया था.
सोरेन ने रांची की एक अदालत में जमानत याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने यह आरोप लगाया कि उनकी गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित और उन्हें भाजपा में शामिल होने के लिए मजबूर करने की एक साजिश का हिस्सा थी.
ईडी ने रांची में स्थित जमीन भी कुर्क की है और अदालत से भूखंड जब्त करने का अनुरोध किया है. झारखंड पुलिस की ओर से मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के दौरान राज्य सरकार के अधिकारियों सहित कई लोगों के खिलाफ भूमि घोटाले के मामलों में कई एफआईआर दर्ज किए गए हैं. मामले में मुख्य आरोपी प्रसाद है जो सरकारी रिकॉर्ड का संरक्षक था.
ईडी ने एक बयान में कहा था कि उन पर आरोप है कि उन्होंने सोरेन समेत कई लोगों को भू-संपत्तियों के रूप में अवैध कब्जे, अधिग्रहण और अपराध से प्राप्त धन रखने से जुड़ी गतिविधियों में सहायता करके अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया. ईडी ने दावा किया था कि झारखंड में भू-माफिया का एक रैकेट सक्रिय है जो रांची में जमीन के रिकॉर्ड में फर्जीवाड़ा करता है.