Hemant Soren सरकार को हाल ही में खान मंत्रालय से चेतावनी मिली है जिसमें सोने की खदान सहित 10 खनिज ब्लॉकों की नीलामी करने की मांग की गई है.
मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि राज्य सरकार इस कार्य में विफल रहती है तो केंद्र सरकार इन खदानों की नीलामी प्रक्रिया खुद शुरू करेगी.
इन 10 ब्लॉकों में एक तांबे की खदान, एक चूना पत्थर की खदान और एक ग्रेफाइट की खदान जा
नकारी के अनुसार इन 10 ब्लॉकों में एक तांबे की खदान, एक चूना पत्थर की खदान और एक ग्रेफाइट की खदान शामिल हैं. 2021 में खनन नियमों में हुए संशोधन के तहत यदि राज्य सरकार तय समय सीमा के भीतर खदानों की नीलामी नहीं करती तो केंद्र सरकार को इन खनिज ब्लॉकों की नीलामी का अधिकार मिल जाता है.
सूत्रों का कहना है कि खनिज ब्लॉकों की नीलामी के मामले में झारखंड अन्य राज्यों से पिछड़ रहा है. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने झारखंड सरकार को 38 भूवैज्ञानिक रिपोर्टें सौंपी थीं जिनमें से केवल पांच का ही नीलामी के लिए उपयोग किया गया है.
राज्य सरकार ने दिसंबर 2021 तक 15 खनिज ब्लॉकों को नीलामी के लिए अधिसूचित करने का वादा किया था लेकिन अब तक केवल चार ब्लॉकों को ही नीलामी के लिए अधिसूचित किया गया है. शेष 11 ब्लॉकों में से एक पोटाश ब्लॉक को केंद्र सरकार द्वारा नीलाम किया जाएगा.
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Hemant Soren सरकार द्वारा नीलामी के लिए अधिसूचित किया जाना बाकी
शेष 10 ब्लॉकों को अभी भी राज्य सरकार द्वारा नीलामी के लिए अधिसूचित किया जाना बाकी है. चालू वित्त वर्ष में अब तक 12 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी हो चुकी है जिनमें से सभी राजस्थान में हैं. ये ब्लॉक अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड और जेके सीमेंट लिमिटेड जैसी कंपनियों को मिले हैं.
इस चेतावनी के बाद झारखंड सरकार पर दबाव बढ़ गया है कि वह जल्द से जल्द इन खनिज ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया को पूरा करे ताकि राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके और केंद्र सरकार की कार्रवाई से बचा जा सके.
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