Hemant Soren की रणनीति से बीजेपी के दिग्गजों पर कड़ी चुनौती

Hemant Soren: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में हेमंत सोरेन का फोकस खासतौर से उन 8 सीटों पर है, जहां बीजेपी के दिग्गज उम्मीदवार मैदान में हैं।

इनमें चंपई सोरेन की सरायकेला, बाबूलाल मरांडी की धनवार, और अमर कुमार बाउरी की चंदनकियारी सीट प्रमुख हैं। अगर सोरेन का यह प्लान सफल रहता है, तो बीजेपी के प्रमुख नेताओं को विधानसभा पहुंचने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

झारखंड की राजनीति में यह देखा गया है कि कोई भी सरकार लगातार दो बार सत्ता में नहीं आ पाती। हेमंत सोरेन इस परंपरा को तोड़ने के प्रयास में हैं। वे न केवल झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) को मजबूत कर रहे हैं, बल्कि बीजेपी की खुद की रणनीतियों का इस्तेमाल करके उन्हें परास्त करने की योजना भी बना रहे हैं। अगर उनकी यह रणनीति सफल रहती है, तो राज्य में सरकार रिपीट होने के साथ-साथ बीजेपी के दिग्गज नेता चुनाव में हार का सामना कर सकते हैं।

बीजेपी ने 81 सीटों वाले झारखंड में 68 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है और 66 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। हालांकि, बीजेपी ने टिकट बंटवारे में परिवारवाद और दलबदलुओं को प्राथमिकता दी है, जिससे पार्टी के कई नेता नाराज हैं। वहीं, Hemant Soren ने भी 8 सीटों पर मजबूत उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जो बीजेपी के दिग्गजों को कड़ी चुनौती दे सकते हैं।

1. चंदनकियारी सीट

बीजेपी के नेता अमर कुमार बाउरी, जो दलित समुदाय से आते हैं, इस सीट पर लगातार दो बार जीत चुके हैं। हेमंत सोरेन ने इस बार आजसू पार्टी के पूर्व विधायक उमाकांत रजक को अपने पाले में कर लिया है, जो पिछली बार इस सीट पर दूसरे स्थान पर थे। इससे बाउरी के लिए चुनौती बढ़ गई है।

2. सारठ सीट

सारठ विधानसभा सीट पर बीजेपी के रणधीर सिंह उम्मीदवार हैं, जो रघुबर दास सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। हेमंत सोरेन ने इस सीट पर रणधीर सिंह को हराने के लिए एक सशक्त योजना तैयार की है। 2019 में जेएमएम यहां तीसरे स्थान पर था, लेकिन इस बार हेमंत सोरेन की योजना से मुकाबला दिलचस्प हो गया है।

हेमंत सोरेन ने झारखंड की राजनीति में अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए हर सीट पर बेहद रणनीतिक कदम उठाए हैं। खासतौर पर भवनाथपुर और धनवार जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर उन्होंने बीजेपी के दिग्गज नेताओं के खिलाफ एक सटीक योजना बनाई है।

3) भवनाथपुर सीट

2019 के चुनाव में गढ़वा जिले की भवनाथपुर सीट पर कांग्रेस चौथे स्थान पर रही थी, जबकि बीजेपी के भानुप्रताप शाही ने जीत दर्ज की थी। शाही पूरे 5 साल हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ मुखर रहे हैं, लेकिन इस बार हेमंत ने उनकी राह में बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। हेमंत ने पिछले चुनाव में दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे प्रत्याशियों को अपने साथ मिलाकर शाही के खिलाफ मजबूत मोर्चा बना लिया है।

झामुमो ने अनंत प्रताप देव को उम्मीदवार बनाया है, जबकि सोगरा बीबी, जो पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर थीं, उन्हें प्रचार में सक्रिय कर दिया है। यह गठजोड़ शाही के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।

4). धनवार सीट

धनवार विधानसभा सीट पर बीजेपी के बाबूलाल मरांडी मैदान में हैं, जिन्हें पार्टी का अघोषित मुख्यमंत्री चेहरा माना जा रहा है। हालांकि, 2014 में मरांडी इस सीट से माले के राज कुमार यादव से हार गए थे। इस बार भी हेमंत सोरेन ने उसी रणनीति को अपनाया है। खबरें हैं कि गठबंधन की तरफ से राज कुमार यादव फिर से धनवार सीट से चुनाव लड़ेंगे। मरांडी के सामने यह चुनौती बड़ी हो सकती है, क्योंकि राज कुमार यादव पहले से ही इस क्षेत्र में लोकप्रिय रहे हैं।

5). जामा सीट

जामा विधानसभा सीट हेमंत सोरेन के परिवार के लिए परंपरागत रही है। उनकी भाभी सीता सोरेन यहां से विधायक थीं, लेकिन हाल ही में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया। इस बदलाव के बाद, हेमंत ने अपने पत्ते बेहद चतुराई से खेले और बीजेपी की प्रमुख नेता लुईस मरांडी को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया।

2014 में लुईस मरांडी ने हेमंत को दुमका सीट पर हराया था, इसलिए उनका जेएमएम में आना जामा और दुमका दोनों सीटों को सुरक्षित करने की दिशा में हेमंत का एक बड़ा कदम है। चर्चा है कि लुईस जामा से चुनाव लड़ सकती हैं।

6). जमुआ सीट

गिरिडीह जिले की जमुआ सीट पर लंबे समय से बीजेपी का दबदबा रहा है। इस बार हेमंत सोरेन ने इस सीट को जेएमएम के खाते में डाल दिया है और पूर्व विधायक केदार हाजरा को अपने साथ मिलाकर इस सीट पर बाजी मारने की तैयारी में हैं। केदार हाजरा ने 2014 और 2019 दोनों चुनावों में जीत दर्ज की थी। इस बार बीजेपी ने मंजू कुमारी को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो पिछले चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरी थीं।

7). बहरगोड़ा सीट

कोल्हान की बहरगोड़ा सीट पर पिछली बार झामुमो के समीर मोहंती और बीजेपी के कुणाल षाड़ंगी के बीच मुकाबला हुआ था। समीर मोहंती ने जीत हासिल की थी, जबकि कुणाल दूसरे स्थान पर रहे थे। इस बार बीजेपी ने चंपई सोरेन के करीबी को टिकट दिया है, जिससे पार्टी के भीतर तनाव बढ़ गया है। चंपई सोरेन के कारण कुणाल ने बीजेपी छोड़कर झामुमो का दामन थाम लिया। अब समीर और कुणाल का गठबंधन बीजेपी के लिए बड़ा सिरदर्द बन गया है, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं।

8). सरायकेला सीट

झामुमो का अभेद्य दुर्ग मानी जाने वाली सरायकेला सीट पर चंपई सोरेन लगातार जीतते आए थे। हालांकि, हाल ही में उन्होंने जेएमएम छोड़कर बीजेपी का हाथ थाम लिया और बीजेपी ने उन्हें इस बार यहां से उम्मीदवार भी बना दिया। हेमंत सोरेन ने चंपई सोरेन को हराने के लिए एक मजबूत गठबंधन तैयार किया है, जिसमें गणेश महली, बास्को बेरा और लक्ष्मण टुडु शामिल हैं।

ये तीनों मिलकर चंपई सोरेन के खिलाफ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, जिससे बीजेपी के लिए यहां भी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं।

हेमंत सोरेन की यह योजना न केवल बीजेपी के दिग्गज नेताओं को चुनौती देने की है, बल्कि झारखंड की राजनीति में झामुमो को एक मजबूत स्थिति में लाने का प्रयास भी है।

यह भी पढ़े: Jharkhand Chunav: कल्पना सोरेन बनेंगी JMM की स्टार प्रचारक

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

powered by Advanced iFrame. Get the Pro version on CodeCanyon.