Patna: NOTA: चुनाव में वोटिंग के बाद ईवीएम का मिलान करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की है लेकिन एक और याचिका की सुनवाई हो रही है.
ज्यादा वोट NOTA को मिले तो उस स्थान पर दोबारा चुनाव कराया जाए
इसमें मांग की गई है कि अगर किसी सीट पर सबसे ज्यादा वोट NOTA को मिले तो उस स्थान पर दोबारा चुनाव कराया जाए. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है और उससे जवाब मांगा है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इसे चुनाव प्रक्रिया के संदर्भ में देखा है और देखेंगे कि चुनाव आयोग किस प्रतिक्रिया में आता है.
आयोग को NOTA को भी उम्मीदवार घोषित करना चाहिए
जनहित याचिका मोटिवेशनल स्पीकर और लेखक शिव खेड़ा द्वारा दाखिल की गई है. खेड़ा के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने इस अहम मसले पर बहस की कहते हुए कि इस पर विचार करना जरूरी है. उन्होंने सूरत लोकसभा सीट के उदाहरण के रूप में बताया कि वहां भाजपा के उम्मीदवार ने निर्विरोध जीता जिसे सिर्फ़ एक उम्मीदवार था. अर्जी में कहा गया है कि चुनाव आयोग को NOTA को भी उम्मीदवार घोषित करना चाहिए.
यदि चुनाव में सबसे ज्यादा वोट NOTA को मिलते हैं तो दोबारा चुनाव कराने की मांग किया जाना चाहिए. इस अनुरोध में यह भी कहा गया है कि लोकसभा, विधानसभा और निकायों समेत सभी चुनावों में NOTA को 2013 से लागू किया गया है. अब तक दो बार मांग की गई है कि NOTA को एक काल्पनिक कैंडिडेट के रूप में शामिल किया जाए.
कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में इस नियम को लागू किया गया है
महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली और पुदुचेरी समेत कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में इस नियम को लागू किया गया है जहां NOTA के वोट सबसे अधिक होते हैं तो एक दोबारा चुनाव का आयोजन किया जाता है. शिव खेड़ा ने अपनी याचिका में चुनाव आयोग से मांग की है कि NOTA का अच्छे से प्रचार किया जाए. उन्होंने कहा कि चुनाव में आपको NOTA का भी एक विकल्प मिलेगा और अगर NOTA को सबसे ज्यादा चुना जाता है तो दोबारा चुनाव कराया जाएगा.
उन्होंने इसके अलावा मांग की कि NOTA से पिछड़ने वाले सभी उम्मीदवारों पर 5 साल की रोक लगाई जाए। यह प्रस्ताव सार्थक और चुनावी प्रक्रिया को सुधारने का एक प्रयास है.