शर्दी में चाहिए गर्मी का एहसास तो आ जाए Dhanbad के Lhasa Market

Lhasa market Dhanbad 2024: धनबाद में ठंड का आगमन हो चुका है। जिसके साथ ही यहां के बाजार अलग-अलग वेराइटी के गर्म कपड़ों से सजने लगे है। वहीं हर साल की तरह इस साल भी ठंड के मौसम में फैसन के तड़के के साथ तिब्बतियों का ल्हासा मार्किट (Lhasa market) भी सज गया है। देखिए एक रिपोर्ट-

धनबाद में गुलाबी ठंड के साथ ही शहर में गर्म कपड़ों के बाजार में रौनक आने लगी है। गर्म कपड़ों के लिए ल्हासा मार्केट (Lhasa market) में भी खरीदारों की संख्या बढ़ने लगी है। यहाँ हर वर्ष नियमित रूप से आने वाले तिब्बती से मिल किसी के चेहरे पर मुस्कान खिल रहे है तो कोई अपनी पसंद का कपड़ा ढूंढते दिखाई दे रहे है। तिब्बतियों ने भी इस बार ट्रेंड के साथ बाजार लगाया है।

लेडिस टॉप 12 साल के उम्र से शुरू होता है। जिनकी कीमत 600 – 700 रुपये से शुरू है। वहीं लेदर लुक जेकेट युवाओं की पसंद बनी हुई है। जिसकी कीमत 1100 रुपये से शुरू है। सितारा व अन्य आर्टिफिसियल से सजे फैंसी शॉल और स्वेटर महिलाओं को खासा लुभा रही है। जिसकी कीमत एक हजार के आसपास से शुरू होती है।

गर्म कपड़ों के इस बाजार में पुरुषों के जैकेट, गर्म चादर, फुल स्वेटर, मफलर, टोपी, ट्राउजर, कम्बल, स्कार्फ, दस्ताना, सहित कई वेराइटी मौजूद हैं। वहीं महिलाओं के शॉल, जैकेट, डिजाइनर स्वेटर, बच्चों के स्वेटर, हाफ स्वेटर, जैकेट, टोपी समेत कई प्रकार के कपड़े यहाँ आपको टंगे दिख जाएंगे। जो आप सस्ते रेट पर अच्छी क्वालिटी के साथ आप खरीद सकते हैं।

दुर्गा पूजा के समाप्ती के साथ ही न्यू स्टेशन मैदान में ल्हासा मार्केट की शुरुआत हो जाती है। यहां गर्म कपड़ों के विक्रेता तिब्बतियों का कहना है कि अभी भीड़ कम है ठंड बढ़ने के बाद खरीदारों की संख्या बढ़ेगी।

इस बार 30 स्व अधिक गर्म कपड़ों के स्टॉलों लगाए गए है। जहाँ तिब्बती मूल के लोगों के साथ कई स्थानीय मूल के युवकों को भी देखा जा सकता है। कई युवक बिहार के भी है जो बाजार रहने तक उनके साथ ही रहेंगे। ये युवक वो तिब्बती मूल के दुकानदार जो हिंदी ठीक से बोल नही सकते उनकी मदद करते हैं, ताकि यहाँ आने वाले ग्राहकों को कपड़े खरीदने या अलग-अलग वेराइटी के गर्म कपड़ों का कलेक्शन देखने मे किसी तफह की परेशानी न हो सके।

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शहर में ल्हासा मार्केट (Lhasa market) लगाने वाले तिब्बती मूल के लोग 1982 से नियमित रूप से यहाँ आते हैं। इनमें से कई ऐसे हैं जो युवा अवस्था में यहां आते थे अब बुजुर्ग हो चुके हैं। अब अपने बच्चों को लेकर यहां आते हैं। हर वर्ष आने के कारण धनबाद उनके घर जैसा हो गया है।

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