झारखंड में चुनाव के बाद से झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने Champai Soren को वापस लाने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।
पार्टी चाहती है कि कोल्हान क्षेत्र के प्रभावशाली नेता और सरायकेला सीट से मौजूदा विधायक चंपई सोरेन फिर से जेएमएम का हिस्सा बनें, जिससे बीजेपी को बड़ा झटका दिया जा सके।
Champai Soren का कद और उनकी भूमिका
चंपई सोरेन जेएमएम के संस्थापक सदस्य और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं। चुनाव से पहले उन्होंने जेएमएम छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था। इस बार सरायकेला सीट पर जेएमएम गठबंधन की हार के कारण उनके नाम की चर्चा तेज हो गई है।
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वापसी के संकेत और संभावनाएं
जेएमएम के राष्ट्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने चंपई की वापसी को लेकर कहा कि पार्टी का दरवाजा उनके लिए हमेशा खुला है। चुनाव प्रचार के दौरान भी हेमंत सोरेन ने चंपई पर सीधा हमला करने से परहेज किया था, और चंपई ने भी सरकार पर ज्यादा सवाल नहीं उठाए।
रांची के राजनीतिक गलियारों में दो संभावनाएं चर्चा में हैं:
- दिल्ली की राजनीति का ऑफर: चंपई को राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति करने का मौका देकर उनके बेटे को सरायकेला से चुनाव लड़ाया जा सकता है।
- सरकार में मंत्री पद: चंपई जेएमएम में लौटकर हेमंत सरकार में मंत्री बन सकते हैं।
नेताओं की वापसी का ट्रेंड
यह पहली बार नहीं है जब जेएमएम ने अपने पुराने नेताओं की वापसी कराई हो। 2014 के चुनाव में पार्टी छोड़कर बीजेपी में गए साइमन मरांडी और हेमलाल मुर्मू 2019 से पहले जेएमएम में लौट आए। हाल ही में बहरगोड़ा के पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने भी पार्टी में वापसी की।
बीजेपी की चुनौतियां
जेएमएम से बीजेपी में गए कई नेता जैसे लोबिन हेम्ब्रम, दिनेश विलियम मरांडी, और सीता सोरेन चुनाव हार चुके हैं। ऐसे में चंपई सोरेन की वापसी बीजेपी के लिए एक और बड़ा झटका हो सकती है।
झारखंड की राजनीति में चंपई सोरेन की भूमिका महत्वपूर्ण है। अब यह देखना होगा कि वह जेएमएम का प्रस्ताव स्वीकार करते हैं या नहीं।