साइबर ठगी का गढ़ बन चुका झारखंड का Jamtara जिला अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो गया है। यहां से शुरू हुई ठगी की तकनीक और तरीके इतने उन्नत हो गए हैं कि साइबर अपराधियों ने 20 से अधिक देशों में अपनी पहुंच बना ली है। बैंक अधिकारी बनकर लोगों को ठगने से लेकर डार्क वेब और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए अंतरराष्ट्रीय ठगी तक, जामताड़ा के ठगों का मायाजाल लगातार बढ़ता जा रहा है।
Jamtara: जागरूकता की कमी बनी ठगी का आधार
जामताड़ा के करमाटांड़ क्षेत्र को साइबर अपराध का केंद्र माना जाता है। यहां के अपराधियों ने ठगी के नए-नए तरीके ईजाद किए। शुरुआत में लोगों को बैंक खातों और सरकारी योजनाओं का लालच देकर ठगा गया। जागरूकता की कमी और तकनीकी समझ के अभाव में लोग इनके जाल में फंसते चले गए।
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Jamtara: अंतरराष्ट्रीय ठिकाने और बढ़ता नेटवर्क
नाम गुप्त रखने की शर्त पर एक शातिर ठग ने बताया कि पहले जामताड़ा के ठगों ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) जैसे दिल्ली, गुरुग्राम और फरीदाबाद में ठिकाने बनाए। अब वे ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, नाइजीरिया और घाना जैसे देशों में भी अपना नेटवर्क स्थापित कर चुके हैं। ये देश साइबर अपराध के प्रति अपेक्षाकृत जागरूक नहीं हैं, जिससे ठग आसानी से अपने मंसूबे पूरे कर रहे हैं।
डार्क वेब और क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल
जामताड़ा के ठग अब डार्क वेब के जरिए अपनी ठगी को नया आयाम दे रहे हैं। ये लोग ठगे गए पैसे को क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर आसानी से अंतरराष्ट्रीय गिरोह के सदस्यों तक पहुंचा देते हैं। डार्क वेब का इस्तेमाल करने से लेन-देन करने वालों का नाम और स्थान ट्रेस करना लगभग असंभव हो जाता है।
क्रिप्टोकरेंसी इन्वेस्टमेंट का खेल
करमाटांड़ थाना क्षेत्र से वर्ष 2022 में एक सीएसपी संचालक की गिरफ्तारी हुई थी। उसने खुलासा किया कि वह ठगों के पैसे को क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करता था। यह प्रक्रिया पूरी तरह डार्क वेब के जरिए संचालित होती थी, जिससे ठगी के पैसों का स्रोत और गंतव्य छुपा रहता था।
तकनीकी खामियों का फायदा
भारतीय एटीएम और बैंकिंग कार्ड्स की थ्री-डी सुरक्षा प्रणाली का फायदा उठाकर ठग आसानी से पैसे ट्रांसफर कर लेते हैं। वहीं, ठगी के बाद पैसे वापस पाने की प्रक्रिया बेहद कठिन होने के कारण लोग इसका क्लेम नहीं कर पाते।
सरकार और सुरक्षा एजेंसियां सतर्क
जामताड़ा के बढ़ते साइबर अपराध के कारण सुरक्षा एजेंसियां और सरकार सतर्क हो गई हैं। इन अपराधियों पर नकेल कसने के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं। बावजूद इसके, ठग अपनी तकनीकी दक्षता और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का इस्तेमाल कर कानून से बचने में सफल हो रहे हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों का मानना है कि साइबर अपराधियों की इस बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए जागरूकता अभियानों को तेज करना होगा और डिजिटल सुरक्षा को मजबूत बनाना होगा। अंतरराष्ट्रीय सहयोग से ही इन अपराधियों के नेटवर्क को ध्वस्त किया जा सकता है। जामताड़ा के ठगों की यह कहानी दिखाती है कि तकनीक का दुरुपयोग किस हद तक लोगों और देशों को प्रभावित कर सकता है। इस चुनौती से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।