इजरायल-हमास युद्ध पर JDU का अलग रुख, केसी त्यागी ने भारत सरकार से इजरायल को सहायता रोकने की मांग की

इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जारी संघर्ष के बीच जनता दल यूनाइटेड (JDU) के नेता केसी त्यागी ने केंद्र सरकार के आधिकारिक रुख से अलग होते हुए इजरायल को दी जा रही सहायता पर रोक लगाने की मांग की है.

नई दिल्ली में आयोजित एक बैठक के दौरान केसी त्यागी ने विपक्षी दलों के साथ मिलकर यह बयान दिया कि भारत को इजरायल को गोला-बारूद और हथियारों की आपूर्ति तुरंत रोक देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इजरायल के हमले अमानवीय हैं और मासूम फिलिस्तीनियों की जान लेने वाले इन हमलों में भारत को भागीदार नहीं बनना चाहिए.

विपक्ष के साथ खड़े दिखे केसी त्यागी

केसी त्यागी ने यह मांग उस समय की जब दिल्ली में फिलिस्तीनी नेता मोहम्मद मकरम बलावी से विपक्षी सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल मिला. इस बैठक में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी के सांसदों के साथ जेडीयू नेता केसी त्यागी भी शामिल थे. बैठक के बाद जारी किए गए संयुक्त बयान में सभी नेताओं ने हस्ताक्षर किए जिसमें केंद्र सरकार से इजरायल को दी जा रही हथियारों की सप्लाई पर रोक लगाने की मांग की गई.

JDU का रुख भाजपा से हुआ अलग

जेडीयू के इस रुख ने भारतीय जनता पार्टी से उसकी सोच में अंतर को उजागर किया है. जहां भाजपा इजरायल का समर्थन करती दिख रही है वहीं जेडीयू के नेता इजरायल के हमलों को जघन्य नरसंहार और अमानवीय करार दे रहे हैं. केसी त्यागी ने साफ कहा कि भारत इजरायल द्वारा गाजा में किए जा रहे नरसंहार का हिस्सा नहीं बन सकता इसलिए उसे इजरायल को किसी भी तरह की सैन्य सहायता नहीं देनी चाहिए.

इजरायल-हमास युद्ध में हो रहा नुकसान

यह विवाद तब शुरू हुआ जब इजरायल ने फिलिस्तीनी आतंकवादी संगठन हमास के घातक हमलों के जवाब में गाजा पर विध्वंसक हमले किए थे. इजराइली सेना ने लेबनान में स्थित शिया मिलिशिया हिजबुल्ला के ठिकानों पर भी हवाई हमले किए जिसके जवाब में हिजबुल्ला ने इजरायल पर 320 से अधिक कत्युशा रॉकेट और ड्रोन से हमला किया. इस हमले में इजरायल के कई सैन्य ठिकानों और आयरन डोम को नुकसान पहुंचा है.

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केसी त्यागी की इस मांग ने भारतीय राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है. अब देखना यह है कि केंद्र सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या इजरायल को दी जा रही सहायता पर कोई प्रभाव पड़ता है. वहीं जेडीयू के इस अलग रुख का पार्टी के अंदर और विपक्ष में क्या असर होता है यह भी देखने लायक होगा.

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