झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: Hemant Soren का ‘लाल-हरा मैत्री’ फॉर्मूला

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है, और CM Hemant Soren ने अपनी चुनावी रणनीति तैयार कर ली है।

सोरेन का लक्ष्य न केवल अपनी सरकार को दोबारा सत्ता में लाना है, बल्कि भाजपा के खिलाफ मजबूती से खड़ा होना भी है। इस बार हेमंत ने एक पुराना लेकिन प्रभावी दांव खेला है, जिसे ‘लाल-हरा मैत्री’ कहा जा रहा है। यह गठबंधन 1985 के विधानसभा चुनावों से प्रेरित है, जब हेमंत के पिता शिबू सोरेन ने मार्क्सवादी समन्वय समिति (MCC) के साथ गठबंधन किया था।

क्या है ‘लाल-हरा मैत्री’ फॉर्मूला?

‘लाल-हरा मैत्री’ का मूल अर्थ है झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और भाकपा-माले (CPI-ML) जैसे वामपंथी दलों का गठबंधन। ‘लाल’ MCC (मार्क्सवादी समन्वय समिति) का प्रतीक था, जबकि ‘हरा’ JMM का। इस बार भी हेमंत सोरेन ने CPI-ML को महागठबंधन का हिस्सा बनाया है, जो पहले 2019 के चुनावों में अलग चुनाव लड़ी थी। 2024 में इस गठबंधन से भाकपा-माले को 4 से 5 सीटें मिलने की उम्मीद है।

Hemant Soren news: क्यों है ये फॉर्मूला महत्वपूर्ण?

भाकपा-माले 2019 के चुनाव में एक सीट जीतने में सफल रही थी, लेकिन बीते 5 सालों में पार्टी की स्थिति मजबूत हुई है। इसके अलावा, सितंबर 2024 में MCC का CPI-ML में विलय होने से वामपंथी दलों की ताकत और भी बढ़ी है। इसी कारण से हेमंत सोरेन इस गठबंधन को लेकर आश्वस्त हैं। उनका मानना है कि यह गठजोड़ भाजपा के खिलाफ एक मजबूत विकल्प साबित हो सकता है।

सोरेन का यह दांव न केवल JMM के लिए फायदेमंद है, बल्कि पूरे महागठबंधन के लिए भी रणनीतिक बढ़त दिलाने वाला हो सकता है।

सीट शेयरिंग और गठबंधन की रणनीति

हेमंत सोरेन की अगुवाई वाला महागठबंधन (JMM, RJD और कांग्रेस) जल्द ही सीटों का अंतिम बंटवारा करेगा। छोटे दलों को भी महागठबंधन में जगह दी गई है, जिससे चुनावी मैदान में एकजुटता दिखाई दे। हेमंत सोरेन ने स्पष्ट कर दिया है कि वे छोटे दलों की ताकत को कम नहीं आंक रहे, बल्कि उन्हें पूरा सम्मान और स्थान दे रहे हैं।

इसके अलावा, झारखंड अलग राज्य आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले A.K. रॉय और उनके दल का भाकपा में विलय भी एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसने वामपंथी ताकत को और मजबूती दी है।

चुनाव की तारीखें और नतीजे

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 दो चरणों में होंगे। पहला चरण 13 नवंबर को 43 सीटों पर और दूसरा चरण 20 नवंबर को 23 सीटों पर मतदान होगा। 23 नवंबर को चुनावी नतीजे घोषित किए जाएंगे, जिससे यह साफ हो जाएगा कि हेमंत सोरेन की ‘लाल-हरा मैत्री’ वाली रणनीति कितनी कारगर साबित होती है।

इस चुनाव में हेमंत सोरेन की कोशिश है कि वे 40 साल पुराने इस फार्मूले से झारखंड में सत्ता बनाए रखें और भाजपा को सत्ता में आने से रोकें। अब देखना यह है कि यह पुराना दांव उन्हें कितना फायदा पहुंचाता है।

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