Jharkhand के जमशेदपुर न्यायालय ने आतंकी संगठन अल-कायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) से जुड़े होने के संदेह में नौ साल से जेल में बंद अब्दुल शमी, अब्दुल रहमान कटकी और मौलाना कलीमुद्दीन को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विमलेश कुमार सहाय की अदालत ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया।
परिवार ने जताई राहत, कहा- न्याय की जीत हुई
बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने बताया कि मामले में 16 गवाहों की सुनवाई हुई, लेकिन अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में असफल रहा। अब्दुल शमी के भाई मो. ताहिर अली ने कहा,
“हमारा परिवार नौ साल से कठिन दौर से गुजरा, लेकिन न्याय पर भरोसा था।”
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2016 में हुई थी गिरफ्तारी, आतंकी संगठन से संबंधों का था आरोप
इन तीनों के खिलाफ 25 जनवरी 2016 को बिष्टुपुर थाना में एफआईआर दर्ज हुई थी। पुलिस ने आरोप लगाया था कि ये अलकायदा के लिए भर्ती अभियान चला रहे थे और जिहाद के लिए युवाओं को उकसा रहे थे।
- अब्दुल शमी को 18 जनवरी 2016 को दिल्ली स्पेशल सेल ने हरियाणा के मेवात से गिरफ्तार किया था।
- अब्दुल रहमान कटकी की गिरफ्तारी ओडिशा से हुई थी।
- मौलाना कलीमुद्दीन को झारखंड एटीएस ने 22 सितंबर 2019 को टाटानगर रेलवे स्टेशन के पास से पकड़ा था।
पटियाला हाउस कोर्ट से 7 साल की सजा भी हुई थी
दिल्ली पटियाला हाउस कोर्ट ने 14 फरवरी 2023 को अब्दुल शमी, अब्दुल रहमान कटकी, मो. आसिफ और जफर मसूद को 7 साल 5 महीने की सजा सुनाई थी। इन्हें आतंकी संगठन में भर्ती और साजिश रचने का दोषी पाया गया था।
अब अदालत के फैसले के बाद कटकी और शमी अभी भी घाघीडीह सेंट्रल जेल में हैं, जबकि कलीमुद्दीन को पहले ही झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी थी।