Jharkhand Chunav 2024 के अंतिम चरण में सियासी मुकाबला अब ‘नामकरण’ तक पहुंच गया है। केंद्र और राज्य दोनों सरकारें भगवान बिरसा मुंडा के नाम को लेकर सियासी दांव-पेंच खेल रही हैं।
जहां केंद्र सरकार ने दिल्ली के सराय काले खां बस अड्डा चौक का नाम बदलकर भगवान बिरसा मुंडा चौक रखा, वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य का सर्वोच्च पुरस्कार बिरसा मुंडा और सिदो-कान्हू के नाम पर करने का ऐलान किया।
Jharkhand Chunav 2024: दिल्ली से रांची तक सियासी दांव
दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिरसा मुंडा चौक का उद्घाटन करते हुए उनकी भव्य प्रतिमा का अनावरण किया। वहीं, हेमंत सोरेन ने इसे ‘भगवान का अपमान’ बताते हुए कहा कि केवल एक चौक का नाम बदलना काफी नहीं है। उन्होंने सेंट्रल विस्टा को बिरसा मुंडा के नाम पर रखने की मांग की और केंद्र पर आदिवासियों के प्रति दिखावटी सम्मान का आरोप लगाया।
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Jharkhand Chunav 2024: हेमंत सोरेन का बड़ा ऐलान
झामुमो प्रमुख और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि अगर उनकी सरकार फिर सत्ता में आती है तो पहली कैबिनेट बैठक में झारखंड का सर्वोच्च पुरस्कार “भगवान बिरसा मुंडा-भगवान सिदो-कान्हू पुरस्कार” के नाम से स्थापित किया जाएगा। उन्होंने इसे झारखंड के शहीदों का सच्चा सम्मान बताया।
BJP का पलटवार
झारखंड भाजपा ने सवाल उठाया कि बिरसा मुंडा को सम्मान देने में इतना समय क्यों लगा। पार्टी ने कांग्रेस और झामुमो पर आदिवासियों के वोट बैंक का शोषण करने और विकास की अनदेखी का आरोप लगाया।
भगवान बिरसा मुंडा का योगदान
भगवान बिरसा मुंडा झारखंड के महान स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासी नेता थे। उन्होंने अंग्रेजी शासन के खिलाफ आदिवासियों को एकजुट किया और मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उनका जन्म 15 नवंबर 1875 को खूंटी जिले के उलिहातू गांव में हुआ था।
चुनावी रणनीतियों का खेल
चुनाव के अंतिम चरण में दोनों पार्टियां आदिवासी नायकों के नाम पर सियासी बढ़त लेने की कोशिश कर रही हैं। कौन कितना सफल होगा, इसका फैसला 23 नवंबर को होगा।