Jharkhand Chunav के दौरान एक बड़ा विवाद सामने आया है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने मधुपुर विधानसभा क्षेत्र के बूथ संख्या 111 पर निर्वाचन आयोग से शिकायत की थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि पीठासीन अधिकारी रामानंद कुमार पासवान सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के उम्मीदवार और राज्य मंत्री हफीजुल हसन का पक्ष ले रहे थे।
Jharkhand Chunav: शिकायत और कार्रवाई का विवरण
निशिकांत दुबे की शिकायत के बाद निर्वाचन आयोग ने तुरंत कार्रवाई की। प्रशासन ने पीठासीन अधिकारी को उनके पद से हटा दिया और प्राथमिकी दर्ज की गई। देवघर प्रशासन द्वारा जारी बयान में बताया गया कि वेबकास्टिंग कक्ष में निरीक्षण के दौरान अधिकारी को मतदान कोष्ठ के बहुत करीब पाया गया, जो कि निर्वाचन आयोग के नियमों का उल्लंघन है। इसे कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही माना गया।
Jharkhand Chunav: प्रशासन और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
देवघर के पुलिस अधीक्षक अंबर लकड़ा ने पुष्टि की कि इस मामले में जांच शुरू कर दी गई है और रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। दूसरी ओर, झामुमो ने इस कार्रवाई को पक्षपातपूर्ण बताते हुए कहा कि अधिकारी को निराधार शिकायत के आधार पर हटाया गया। झामुमो के प्रवक्ता मनोज पांडेय ने आरोप लगाया कि भाजपा की शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई होती है, लेकिन उनकी शिकायतें अनसुनी रह जाती हैं।
गांडेय विधानसभा में भी विवाद
इसी बीच, गांडेय विधानसभा क्षेत्र के बूथ संख्या 338 पर भी गड़बड़ी की खबर आई। वहां पीठासीन अधिकारी प्रमोद कुमार को मतदान की गोपनीयता भंग करने के आरोप में हटाया गया और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। यह सीट मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन और भाजपा की मुनिया देवी के बीच एक महत्वपूर्ण मुकाबले के लिए जानी जा रही है।
Jharkhand Chunav: चुनाव प्रक्रिया और सुरक्षा व्यवस्था
झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण में 38 सीटों के लिए बुधवार को कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान हुआ। हालांकि, इस दौरान आई शिकायतों ने चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर सवाल खड़े किए हैं।
निर्वाचन प्रक्रिया पर सवाल: झामुमो ने उठाए निष्पक्षता के मुद्दे
झारखंड में चल रहे विधानसभा चुनावों के दौरान विवाद बढ़ता जा रहा है। देवघर के पुलिस अधीक्षक अंबर लकड़ा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में बताया कि मतदान के दौरान एक पीठासीन अधिकारी के खिलाफ शिकायत पर जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जांच पूरी होने के बाद रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
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इस मामले में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने गंभीर आरोप लगाए हैं। झामुमो के प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि अधिकारी को बिना ठोस आधार के हटाया गया है। उन्होंने दावा किया, “यह शिकायत निराधार है और जांच में इसे झूठा साबित किया जाएगा।”
पांडेय ने निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की शिकायतों पर निर्वाचन आयोग तुरंत कार्रवाई करता है, लेकिन जब हम अपनी शिकायत दर्ज कराते हैं, तो उसे नजरअंदाज कर दिया जाता है।”
झामुमो का यह आरोप निर्वाचन प्रक्रिया में पक्षपात और राजनीतिक दबाव का संकेत देता है। इस विवाद ने चुनावी माहौल को और गर्मा दिया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जांच के बाद क्या तथ्य सामने आते हैं और निर्वाचन आयोग की अगली कार्रवाई क्या होगी।