Jharkhand में कुपोषण एक बड़ी समस्या बनी हुई है। राज्य में 39% बच्चे कुपोषित हैं, लेकिन चिंता की बात यह है कि राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स (RIMS) में स्थित कुपोषण उपचार केंद्र में अब तक सिर्फ 84 बच्चों का ही इलाज किया गया है। यह आंकड़ा कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में सरकारी प्रयासों की धीमी गति को दर्शाता है।
Jharkhand में कुपोषण की स्थिति
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, झारखंड में 39% बच्चे कुपोषण से पीड़ित हैं।
- बच्चों में कुपोषण के कारण उनमें शारीरिक विकास रुक जाता है, प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं जन्म लेती हैं।
- राज्य सरकार द्वारा पोषण मिशन और आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से सुधार की कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन अब भी यह गंभीर समस्या बनी हुई है।
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RIMS का कुपोषण उपचार केंद्र क्यों नहीं बना प्रभावी?
राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स (RIMS) में कुपोषित बच्चों के इलाज के लिए विशेष केंद्र बनाया गया है, लेकिन अब तक वहां सिर्फ 84 बच्चों का ही इलाज हो पाया है। इसके पीछे कई कारण माने जा रहे हैं:
–जानकारी और जागरूकता की कमी – कई माता-पिता को इस केंद्र के बारे में जानकारी ही नहीं है।
–रिम्स तक पहुंचने में दिक्कतें – दूर-दराज के इलाकों के गरीब परिवारों के लिए अस्पताल तक पहुंचना मुश्किल है।
–स्वास्थ्य सेवाओं में समन्वय की कमी – सरकार और अस्पताल प्रशासन के बीच बेहतर समन्वय की जरूरत है।
विशेषज्ञों की राय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कुपोषण के खिलाफ लड़ाई को तेज करने के लिए जमीनी स्तर पर ज्यादा प्रयास करने होंगे। गांवों और छोटे कस्बों में आंगनवाड़ी केंद्रों को मजबूत करना, पोषण शिक्षा को बढ़ावा देना और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधाएं बढ़ाना जरूरी है।
Jharkhand News: क्या हो सकता है समाधान?
- गांवों में पोषण जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
- आंगनवाड़ी और स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधाओं को बढ़ाया जाए।
- गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए पोषण संबंधी सरकारी योजनाओं का सही क्रियान्वयन हो।
- रिम्स जैसे बड़े अस्पतालों में अधिक से अधिक कुपोषित बच्चों का इलाज हो और माता-पिता को इसके लिए प्रेरित किया जाए।
सरकार की अगली रणनीति क्या होगी?
राज्य सरकार इस समस्या से निपटने के लिए पोषण मिशन को और तेज करने की योजना बना रही है। अब देखना होगा कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग मिलकर झारखंड के कुपोषित बच्चों को स्वस्थ भविष्य देने में कितनी तेजी से काम करता है।