Jharkhand Potato Crisis: झारखंड में आलू की आपूर्ति बाधित होने के कारण इसकी कीमतों में वृद्धि हो रही है। आलू के अंतरराज्यीय व्यापार को लेकर पश्चिम बंगाल और झारखंड के बीच विवाद गहराता जा रहा है, जिसका असर झारखंड के गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों पर पड़ रहा है।
Jharkhand Potato Crisis: BJP सांसद ने उठाया मुद्दा
हजारीबाग के बीजेपी सांसद मनीष जायसवाल ने लोकसभा में यह मामला उठाते हुए केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने झारखंड के लिए आलू की आपूर्ति रोक दी है, जिससे झारखंड में आलू की कीमतों में 5-10 रुपये प्रति किलो का इजाफा हुआ है। उन्होंने अंतरराज्यीय व्यापार पर रोक को असंवैधानिक बताते हुए इसे गरीबों के खिलाफ साजिश करार दिया।
Jharkhand Potato Crisis: झारखंड सरकार की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर झारखंड की मुख्य सचिव अलका तिवारी ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत से बात की, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है। झारखंड में आलू की कुल खपत का 60% हिस्सा पश्चिम बंगाल से आता है। आपूर्ति रुकने से राज्य के बाजारों में आलू की किल्लत और बढ़ गई है।
Jharkhand Potato Crisis: ममता बनर्जी का पलटवार
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने झारखंड के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मुनाफाखोरी के कारण बंगाल में आलू और प्याज की कीमतें बढ़ रही हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य में उपलब्ध आलू सबसे पहले बंगाल के लोगों के लिए है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य को प्राथमिकता दिए बिना अन्य राज्यों में आपूर्ति की अनुमति नहीं दी जा सकती।
मामले का असर और समाधान की संभावना
- झारखंड पर प्रभाव: आलू की कीमतों में उछाल झारखंड के गरीब वर्ग के लिए परेशानी का कारण बन रहा है।
- बंगाल का रुख: पश्चिम बंगाल का तर्क है कि स्थानीय जरूरतों को प्राथमिकता देना उनकी जिम्मेदारी है।
- केंद्र सरकार की भूमिका: संसद में मामला उठने के बाद, केंद्र सरकार से विवाद को सुलझाने के लिए हस्तक्षेप की उम्मीद है।
राजनीतिक और आर्थिक संकेत
यह विवाद अंतरराज्यीय व्यापार की संवैधानिकता और राज्यों की प्राथमिकताओं के बीच संतुलन का सवाल उठाता है। आलू जैसी आवश्यक वस्तुओं पर ऐसे विवाद आम जनता पर सीधा प्रभाव डालते हैं, जिससे राजनीतिक दलों के लिए यह एक संवेदनशील मुद्दा बन जाता है।