Jharkhand: पश्चिमी सिंहभूम में ग्रामीणों ने दो माओवादियों को मार गिराया, शवों की तलाश जारी

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Jharkhand के पश्चिमी सिंहभूम जिले में माओवादी गतिविधियों के खिलाफ ग्रामीणों ने बड़ा कदम उठाते हुए दो माओवादियों को मौत के घाट उतार दिया। घटना शुक्रवार को चाईबासा के गुदड़ी ब्लॉक के घने जंगलों में हुई।

पुलिस को सूचना मिली है कि ग्रामीणों ने पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (PLFI) के क्षेत्र कमांडर “मोटा टाइगर” और उसके एक अन्य साथी को मार गिराया है। हालांकि, शवों की बरामदगी अभी तक नहीं हो पाई है।

Jharkhand News: पुलिस का बयान

कोल्हान रेंज के डीआईजी मनोज रतन चोथे ने बताया, “गांववालों ने PLFI के दो सदस्यों को मार दिया है। लेकिन जंगल के दुर्गम इलाके के कारण शवों को बरामद करने में दिक्कतें हो रही हैं। पुलिस की टीम घटनास्थल पर है और तलाशी अभियान जारी है। शव मिलने के बाद ही कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाएगी।”

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डीआईजी ने बताया कि “गांववालों ने पहले मोटा टाइगर को पीट-पीटकर मार डाला और बाद में उसके साथी को भी मार दिया। यह घटना माओवादियों के खिलाफ स्थानीय लोगों की बढ़ती नाराजगी को दिखाती है।”

Jharkhand News: डीजीपी ने किया दौरा, माओवाद पर चर्चा

झारखंड पुलिस के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने रविवार को पश्चिमी सिंहभूम का दौरा कर माओवादी विरोधी अभियानों की समीक्षा की। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, “हमारे राज्य में 95 प्रतिशत माओवादी समस्या का समाधान हो चुका है। पश्चिमी सिंहभूम में केवल चार-पांच प्रतिशत समस्याएं शेष हैं, जिन्हें जल्द ही खत्म कर दिया जाएगा। हमारा लक्ष्य झारखंड को माओवाद मुक्त बनाना है।”

ग्रामीणों का माओवादियों के खिलाफ आक्रोश

चाईबासा के गुदड़ी ब्लॉक में ग्रामीणों का माओवादियों के खिलाफ बढ़ता विरोध एक नई दिशा ले रहा है। डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कहा, “यह पहली बार नहीं है जब ग्रामीण माओवादियों के खिलाफ खड़े हुए हैं। झारखंड के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह के प्रदर्शन हो रहे हैं। लोगों का आक्रोश यह संकेत देता है कि वे अब माओवादियों को अपने इलाके से पूरी तरह हटाने के लिए तैयार हैं।”

माओवादी प्रभाव का अंत करीब?

झारखंड के अधिकांश हिस्सों से माओवादियों का प्रभाव कम हो चुका है, लेकिन पश्चिमी सिंहभूम जैसे कुछ जिलों में उनकी मौजूदगी अभी भी चुनौती बनी हुई है। ग्रामीणों का यह कदम माओवादी गतिविधियों पर नियंत्रण पाने के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। झारखंड सरकार और पुलिस ने ग्रामीणों के इस साहसिक कदम की सराहना करते हुए भरोसा दिलाया है कि माओवादी मुक्त झारखंड का सपना जल्द ही साकार होगा।

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