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Nishikant Dubey: गुलमर्ग में Nishikant Dubey की हाई प्रोफ़ाइल पार्टी की चर्चा

On: September 23, 2025 1:29 PM
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Nishikant Dubey ने कहा- मैं इन दिनों कलमा सीख रहा हूं, पता नहीं कब इसकी जरूरत पड़ जाए
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Nishikant Dubey: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हमले ने जहां आम पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर लापरवाही उजागर की है, वहीं एक अलग विवाद ने भी जोर पकड़ लिया है। इस हमले ने जहां आम पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर लापरवाही उजागर की है, वहीं एक अलग विवाद भी छिड़ गया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद निशिकांत दुबे पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

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राजद का आरोप है कि हमले से ठीक पहले, भाजपा सांसद ने अपनी शादी की रजत जयंती उसी जगह मनाई थी जहाँ आतंकवादी हमला हुआ था। आरोप है कि इस आयोजन के दौरान इलाके में भारी सुरक्षा बल तैनात थे। लेकिन आम पर्यटकों के लिए कोई विशेष सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई। इस दोहरे मापदंड पर अब राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं।

जनता की जान की कोई कीमत नहीं- राजद

राजद प्रवक्ताओं ने कहा है कि यह सिर्फ़ सुरक्षा चूक का मामला नहीं है, बल्कि वीआईपी संस्कृति के दुष्परिणामों का भी मामला है। उन्होंने पूछा कि क्या किसी सांसद के निजी कार्यक्रम के लिए सुरक्षा व्यवस्था की जा सकती है? तो फिर उसी जगह पर आम नागरिकों की सुरक्षा क्यों नहीं की गई? आरजेडी नेताओं का यह भी कहना है कि इससे पता चलता है कि सरकार की प्राथमिकता आम जनता नहीं, बल्कि उसका अपना अभिजात्य वर्ग है।

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इस पूरे मामले में सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है। आतंकी गतिविधियों की पूर्व सूचना के बावजूद इलाके में कोई गहन जांच या निगरानी नहीं की गई। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यदि सही समय पर सावधानी बरती गई होती तो इस हमले को रोका जा सकता था।

निशिकांत दुबे: वीआईपी संस्कृति खतरा बनती जा रही है.

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है: क्या वीआईपी संस्कृति हमारे देश की सुरक्षा को कमज़ोर कर रही है? जब नेताओं और उनके निजी कार्यक्रमों को आम नागरिकों की सुरक्षा से ज़्यादा प्राथमिकता दी जाती है, तो यह लोकतंत्र की मूल भावना को ही कमज़ोर करता है।

जवाबदेही तय होनी चाहिए

पहलगाम आतंकवादी हमले ने हमें इस बात पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हम अपनी सुरक्षा नीति को सही दिशा में ले जा रहे हैं। इस घटना ने न केवल सुरक्षा खामियों को उजागर किया, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि वीआईपी संस्कृति आज भी हमारी व्यवस्था को ग्रसित कर रही है। अब जरूरी है कि सरकार और सुरक्षा एजेंसियां ​​इस पर गंभीरता से विचार करें और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं। राजद द्वारा उठाए गए सवाल महज राजनीतिक नहीं हैं, बल्कि आम जनता की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे हैं, जिसका जवाब सरकार को देना होगा।

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