IJR 2025 Report: नई दिल्ली में जारी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (IJR) 2025 ने देश की पुलिसिंग, न्याय व्यवस्था और कानूनी सहायता से जुड़ी गंभीर खामियों को सामने रखा है।
रिपोर्ट के अनुसार, देश में पुलिस बल के आधे पद खाली हैं, जबकि जेलों में क्षमता से कहीं ज्यादा कैदी बंद हैं।
IJR 2025 Report: महिला पुलिस बल में झारखंड की चिंताजनक स्थिति
रिपोर्ट में बताया गया है कि झारखंड, त्रिपुरा और अंडमान-निकोबार जैसे राज्यों में जिस रफ्तार से महिला पुलिसकर्मियों की भर्ती हो रही है, उसे देखते हुए लक्षित भागीदारी हासिल करने में इन्हें करीब 200 साल लग सकते हैं। इसके विपरीत, आंध्र प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में अगले तीन वर्षों में यह अनुपात 33% तक पहुंच सकता है।
IJR 2025 Report: CCTV कैमरों की भारी कमी
झारखंड देश का एकमात्र राज्य है जहां 50% से भी कम थानों में CCTV कैमरे लगाए गए हैं। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर 83% से अधिक थानों में ये कैमरे पहले ही लगाए जा चुके हैं, जिससे झारखंड की स्थिति और गंभीर दिखती है।
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IJR 2025 Report: पुलिस व न्यायिक ढांचे में व्यापक खामियां
- देशभर में 50% पुलिस पद खाली हैं, और फॉरेंसिक विशेषज्ञों की संख्या भी बेहद सीमित (केवल 10,000) है।
- 176 जेलों की ऑक्युपेंसी दर 200% से अधिक है।
- 20 से अधिक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 20% विचाराधीन कैदी 1 से 3 साल से जेल में हैं, जिनकी सुनवाई अब तक पूरी नहीं हो सकी है।
- न्यायिक स्टाफ की कमी के कारण देश में लगभग 5.7 लाख केस लंबित हैं।
- न्यायपालिका और पुलिस में SC/ST/OBC आरक्षण का समुचित पालन नहीं हो रहा।
कानूनी सहायता और प्रशिक्षण की स्थिति
- पैरा-लीगल वॉलंटियर्स की संख्या 2019 के बाद से घटी है, जिससे कानूनी सहायता प्रभावित हुई है।
- सिर्फ 38% मामलों में प्रभावी कानूनी सहायता दी जा सकी।
- कुल पुलिस बजट का महज 1.25% प्रशिक्षण पर खर्च किया जा रहा है, जिससे दक्षता में कमी आई है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की निष्क्रियता
रिपोर्ट बताती है कि आयोग द्वारा स्वतः संज्ञान लेने की दर मात्र 4% है, जो इसके प्रभाव पर गंभीर प्रश्न उठाती है। रिपोर्ट साफ तौर पर दिखाती है कि झारखंड समेत कई राज्यों में पुलिस व्यवस्था और न्यायिक प्रणाली को दुरुस्त करने की तत्काल ज़रूरत है, विशेषकर महिलाओं की भागीदारी, निगरानी तंत्र और संसाधनों की उपलब्धता के क्षेत्र में।