Dumka: दुमका जिले के मसलिया प्रखंड अंतर्गत हेथियापाथर पंचायत के गोड़माला गांव में करोड़ों रुपये की लागत से बनी ग्रामीण जलापूर्ति योजना इन दिनों भ्रष्टाचार और लापरवाही का शिकार हो गई है। योजना का उद्देश्य सात गांवों के सैकड़ों घरों में स्वच्छ पेयजल पहुंचाना था, लेकिन आज स्थिति यह है कि लोगों को एक बूंद भी पानी नसीब नहीं हो रहा।
जानकारी के अनुसार, इस योजना का शिलान्यास 22 फरवरी 2019 को तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री डॉ. लुईस मरांडी द्वारा किया गया था। इसका निर्माण कार्य संवेदक बिनोदलाल ने वर्ष 2022 में पूरा किया। योजना के अंतर्गत दो स्थानों – मुर्गाथोल और गोड़माला – में जल टंकी का निर्माण किया गया, जो आठ गांवों में पानी आपूर्ति के लिए बनी थी। इन गांवों में गड़द्वारा (75 घर), भूल (115 घर), मोहनपुर (55 घर), बरमसिया (32 घर), गोड़माला (250 घर), दतियारपुर (120 घर), हेथियापाथर (300 घर) और मुर्गाथोल (90 घर) शामिल हैं।
हालांकि, जमीन अधिग्रहण से जुड़ी समस्याओं के कारण जलापूर्ति की यह महत्वाकांक्षी योजना विवादों में घिर गई है। गोड़माला, मुर्गाथोल और गड़द्वारा गांव के कुल 10 जमीन दाताओं को आज तक मुआवजा नहीं मिला है। नाराज ग्रामीणों ने जल टंकी के गेट पर ताला जड़ दिया है और पानी आपूर्ति को रोक दिया है।
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जमीन दाताओं का कहना है कि वे वर्षों से अंचल और भू-अर्जन कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उन्हें अब तक न्याय नहीं मिला है। बढ़ती गर्मी और पेयजल संकट से परेशान ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। ग्रामीणों ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से “शून्य भ्रष्टाचार” अभियान के तहत मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है।
स्थानीय प्रशासन की ढुलमुल रवैये और भ्रष्टाचार के चलते करोड़ों रुपये की यह योजना आज धूल फांक रही है, और ग्रामीण पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। सवाल यह है कि जब सरकारें जनता के बुनियादी अधिकारों को ही सुनिश्चित नहीं कर पा रहीं, तो विकास की बातें महज दिखावा बन कर रह जाती हैं।