झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) की CGL परीक्षा को लेकर एक बड़ा फैसला सामने आया है। झारखंड हाईकोर्ट ने जेएसएससी सीजीएल परीक्षा के परिणाम पर रोक लगा दी है। इस मामले में कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 22 जनवरी तय की है। हाईकोर्ट का यह फैसला अभ्यर्थियों की ओर से परीक्षा प्रक्रिया में अनियमितता और कथित पेपर लीक के आरोपों के बाद आया है।
JSSC CGL Paper Leak: क्या है पूरा मामला?
जेएसएससी सीजीएल परीक्षा झारखंड में ग्रेजुएट स्तर की सरकारी नौकरियों के लिए आयोजित की जाती है। इस बार परीक्षा के परिणाम घोषित होने से पहले ही कई अभ्यर्थियों ने आयोग पर पेपर लीक और परीक्षा प्रक्रिया में गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद कई याचिकाएं झारखंड हाईकोर्ट में दायर की गईं, जिनमें निष्पक्ष जांच और परीक्षा परिणाम पर रोक की मांग की गई।
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JSSC CGL Paper Leak: हाईकोर्ट का आदेश
अभ्यर्थियों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने फिलहाल जेएसएससी सीजीएल परीक्षा के परिणाम पर रोक लगाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को तय की है, जिसमें आयोग को जवाब देना होगा और पूरी प्रक्रिया पर सफाई पेश करनी होगी।
अभ्यर्थियों का आक्रोश
परीक्षा में कथित अनियमितताओं को लेकर अभ्यर्थियों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। कई छात्र संगठनों ने इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन किया और निष्पक्ष जांच की मांग की है। अभ्यर्थियों का कहना है कि उनकी मेहनत के साथ अन्याय हुआ है और यदि पेपर लीक की घटनाएं सच साबित होती हैं, तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
JSSC का पक्ष
वहीं, झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) ने इन आरोपों को निराधार बताया है। आयोग का कहना है कि परीक्षा की प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता के साथ आयोजित किया गया है और जांच में सभी तथ्यों को सामने लाया जाएगा। आयोग हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए अपना पक्ष प्रस्तुत करेगा।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
जेएसएससी सीजीएल परीक्षा में हुई कथित गड़बड़ी को लेकर राजनीतिक दल भी सरकार और आयोग पर निशाना साध रहे हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि राज्य सरकार परीक्षा प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने में नाकाम रही है, जिससे लाखों युवाओं का भविष्य दांव पर लग गया है। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर लगातार चर्चाएं हो रही हैं और युवा वर्ग न्याय की मांग कर रहा है।
आगे की राह
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब सभी की निगाहें 22 जनवरी को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हुई हैं। इस सुनवाई में आयोग को अदालत के सामने अपनी प्रक्रिया का स्पष्टीकरण देना होगा। यदि कोर्ट को अनियमितताओं के पर्याप्त सबूत मिलते हैं, तो परीक्षा के परिणामों को रद्द करने या दोबारा परीक्षा कराने जैसे कदम उठाए जा सकते हैं। जेएसएससी सीजीएल परीक्षा पर रोक लगने से अभ्यर्थियों के भविष्य को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
हाईकोर्ट के आदेश से यह साफ है कि परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता के मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि 22 जनवरी को होने वाली सुनवाई में कोर्ट क्या निर्णय लेता है और आयोग अपनी प्रक्रिया के बचाव में क्या दलीलें पेश करता है।