Lalu Yadav की राम-श्याम की जोड़ी जुदा, राम ने थामा BJP का दामन तो श्याम को भाई JDU

बिहार की राजनीति में एक बार फिर से हलचल मच गई है, क्योंकि Lalu Yadav के करीबी रहे राम और श्याम की जोड़ी अब पूरी तरह से अलग हो चुकी है।

बिहार की सियासत में नए समीकरण बनते दिखाई दे रहे हैं

कभी आरजेडी के प्रमुख चेहरे माने जाने वाले रामकृपाल यादव और श्याम रजक ने अपनी-अपनी राजनीतिक राह चुन ली है, जिससे बिहार की सियासत में नए समीकरण बनते दिखाई दे रहे हैं।

रामकृपाल यादव, जिन्होंने 2014 में पाटलिपुत्र से टिकट न मिलने के कारण भाजपा का दामन थाम लिया था, अब केंद्रीय राजनीति में मजबूत भूमिका निभा रहे हैं। दूसरी ओर, श्याम रजक, जो कभी आरजेडी के प्रमुख नेता और मंत्री रह चुके हैं, अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जनता दल (यूनाइटेड) में शामिल होने जा रहे हैं।

Shyam Rajak: 1 सितंबर 2024 को जेडीयू के पटना स्थित कार्यालय में अपने साथियों सहित पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे

श्याम रजक 1 सितंबर 2024 को जेडीयू के पटना स्थित कार्यालय में एक भव्य मिलन समारोह के दौरान अपने साथियों सहित पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे। इस अवसर पर जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा, प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा, और कई प्रमुख मंत्री भी उपस्थित रहेंगे। श्याम रजक के इस कदम से बिहार की राजनीति में नई हलचल पैदा हो गई है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि इसका आगामी चुनावों में क्या असर पड़ता है।

अपने एक्स अकाउंट पर श्याम रजक ने इसकी पुष्टि करते हुए लिखा, “पूर्व मंत्री सह राष्ट्रीय अध्यक्ष एबीडीम श्याम रजक जनता दल (यूनाइटेड) में अपने साथियों सहित 1 सितंबर 2024 को 12 बजे जदयू कार्यालय, वीरचंद पटेल पथ, पटना में सदस्यता ग्रहण करेंगे।”

श्याम रजक, जो कभी राष्ट्रीय जनता दचस्प रहा है

1995 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले श्याम रजक ने चुनावी मैदान में सफलता हासिल की और राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री के पद तक पहुंचे। हालांकि, 2010 के विधानसभा चुनाव से पहले, उन्होंने 2009 में आरजेडी से इस्तीफा देकर जेडीयू का दामन थाम लिया था।

नीतीश कुमार ने उन्हें अपनी सरकार में मंत्री बनाया, लेकिन जब जेडीयू और आरजेडी के बीच महागठबंधन बना और सरकार बनी, तो उन्हें मंत्री पद नहीं मिला।

Lalu Yadav: श्याम रजक को 2024 के लोकसभा चुनाव में भी निराशा हाथ लगी

इसके बाद, 2020 के विधानसभा चुनाव में भी आरजेडी ने उन्हें फुलवारी सीट से टिकट नहीं दिया, जो उनके प्रभाव का इलाका माना जाता है। इसके अलावा, 2022 के विधान परिषद चुनाव में भी उन्हें टिकट नहीं दिया गया, जिससे उनकी नाराजगी और बढ़ गई। आरजेडी में रहते हुए श्याम रजक को 2024 के लोकसभा चुनाव में भी निराशा हाथ लगी, जब पार्टी ने उन्हें समस्तीपुर या जमुई से चुनाव लड़ने का मौका नहीं दिया।

इन सब घटनाओं ने श्याम रजक को आरजेडी से नाराज कर दिया और आखिरकार उन्होंने पार्टी छोड़कर जेडीयू में शामिल होने का निर्णय लिया।

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Shyam Rajak छह बार विधायक रह चुके हैं और फुलवारी इलाके में उनका खासा प्रभाव माना जाता है। जेडीयू में उनकी वापसी नीतीश कुमार के साथ उनके लंबे समय तक चले संबंधों को एक बार फिर से मजबूती देगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जेडीयू में शामिल होने के बाद श्याम रजक को पार्टी में क्या भूमिका मिलती है और बिहार की राजनीति में यह घटनाक्रम क्या नया मोड़ लाता है।

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