Mithun Chakraborty, बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता, आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। लेकिन सफलता की इस बुलंदी तक पहुंचने के लिए उन्हें बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण सफर तय करना पड़ा।
हिंदी सिनेमा में अपने अद्वितीय योगदान के लिए उन्होंने 350 से अधिक फिल्मों में काम किया और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के लिए नामांकित हुए हैं। मगर उनकी यह यात्रा कभी आसान नहीं रही।
Mithun Chakraborty: संघर्षों से भरे शुरुआती दिन
जब मिथुन काम की तलाश में मुंबई आए, तो उन्हें कई महीनों तक काम नहीं मिला। दो वक्त की रोटी जुटाना उनके लिए बड़ा संघर्ष था। उन्होंने कई रातें फुटपाथ पर गुजारीं और भूखे पेट दिन बिताए। मिथुन ने खुद एक इंटरव्यू में कहा था, “मैंने वो दिन देखे हैं जब मुझे नहीं पता था कि अगला खाना कहां से आएगा, या मैं कहां सोऊंगा।”
उनकी काली रंगत और सामान्य दिखने वाले लुक्स के कारण उन्हें बार-बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा। उन्हें अपमानित किया गया, और कभी-कभी तो वे पानी की टंकियों या बिल्डिंग की छतों पर सोते थे। उस कठिन दौर में मिथुन इतने हताश हो गए थे कि सुसाइड करने का भी ख्याल उनके मन में आया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और खुद को उस निराशा से बाहर निकाला।
Mithun Chakraborty: छोटे रोल्स से बड़ी सफलता तक
अपने शुरुआती करियर में मिथुन ने छोटे-छोटे रोल्स से शुरुआत की। अमिताभ बच्चन की फिल्म दो अनजाने में उन्हें एक छोटा किरदार निभाने का मौका मिला। लेकिन उनकी किस्मत तब बदली जब उन्हें 1976 में अपनी डेब्यू फिल्म मृगया में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया। यहीं से उनका करियर धीरे-धीरे गति पकड़ने लगा।
लेकिन असली पहचान मिथुन को 1982 में फिल्म डिस्को डांसर से मिली, जिसने उन्हें स्टारडम की ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। इस फिल्म के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दीं, जिनमें सुरक्षा, हमसे बढ़कर कौन, अग्निपथ, और हाल ही में द कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्में शामिल हैं।
अभी भी एक्टिव हैं Mithun Chakraborty
आज 74 साल की उम्र में भी मिथुन चक्रवर्ती शोबिज में सक्रिय हैं और काम कर रहे हैं। उनके संघर्ष की कहानी हमें यह सिखाती है कि चाहे हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, अगर इंसान हिम्मत और धैर्य से काम ले, तो सफलता निश्चित है। मिथुन का जीवन प्रेरणा का प्रतीक है, जो बताता है कि जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए।