बिहार के नेता प्रतिपक्ष Tejashwi Yadav ने केंद्र सरकार पर आरक्षण विरोधी होने का गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि देशभर में आरक्षण के मुद्दे पर जो आंदोलन चल रहा है, वह केंद्र सरकार की असली मंशा को उजागर कर रहा है।
अब यह साफ हो गया है कि केंद्र सरकार आरक्षण के खिलाफ है: Tejashwi Yadav
उन्होंने बुधवार को इस मुद्दे को लेकर आयोजित भारत बंद का समर्थन करते हुए कहा कि अब यह साफ हो गया है कि केंद्र सरकार आरक्षण के खिलाफ है। तेजस्वी यादव ने कहा, “हमने हमेशा से कहा है कि केंद्र सरकार आरक्षण का विरोध करती है और आज इसकी तस्वीर सबके सामने आ गई है। हमने उसी के खिलाफ विरोध दर्ज कराया है।”
तेजस्वी यादव ने बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला। उन्होंने कहा, “कल ही हाजीपुर में एक जनप्रतिनिधि की पांच गोलियां मारकर हत्या कर दी गई। हम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछना चाहते हैं कि क्या यही आपका सुशासन है?”
नीतीश कुमार थक चुके हैं और अब उन्हें आराम करने की जरूरत
तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री को ‘थका हुआ’ बताते हुए कहा कि अब नीतीश कुमार में सरकार चलाने की क्षमता नहीं बची है। उन्होंने आरोप लगाया कि “सरकार अब चंद अधिकारियों और अपराधी वर्ग के लोगों द्वारा चलाई जा रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार थक चुके हैं और अब उन्हें आराम करने की जरूरत है।”
बुधवार को देशभर में अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण में क्रीमी लेयर को शामिल करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दलित और आदिवासी संगठनों द्वारा ‘भारत बंद’ का आयोजन किया गया। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), आजाद समाज पार्टी समेत कई संगठनों ने इस बंद का समर्थन किया।
केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी
लखनऊ के हजरतगंज चौराहे पर बसपा कार्यकर्ताओं ने अंबेडकर प्रतिमा के पास जोरदार विरोध-प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों के हाथों में आरक्षण बचाने के लिए बैनर और पोस्टर भी नजर आए। प्रदर्शन में महिलाओं की भी भारी संख्या देखी गई। ‘अभी तो ये अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है’ जैसे नारों के साथ प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।
प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट किया कि वे बहन जी (मायावती) के निर्देश पर एकत्र हुए हैं और समाज के हक के लिए यह संघर्ष जारी रहेगा। उनका आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सरकार ने बैक डोर से लागू करवाया है, जो दलित और आदिवासी समाज के साथ अन्याय है।
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प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि सरकार इस फैसले के खिलाफ तुरंत अध्यादेश लाए और इसे संविधान की नौवीं सूची में डाले, ताकि किसी भी कोर्ट को इस पर फैसला देने का अधिकार न हो। उन्होंने कहा, “हमें संविधान के तहत जो मूल आरक्षण मिला है, वही चाहिए, और इस पर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा।”