बिहार के मोकामा गोलीकांड (Mokama Firing) में विधायक अनंत सिंह के बचाव में राज्य सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
अशोक चौधरी ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति गोली चलाता है, तो अपनी रक्षा के लिए उसे आत्मरक्षात्मक कदम उठाने का अधिकार है। उनके अनुसार, अनंत सिंह ने कानून का पालन करते हुए इस मामले में जेल में समय बिताया और उन्हें जेल भेजने की प्रक्रिया भी विधिक तरीके से हुई।
Mokama Firing: स्वतंत्रता और आत्मरक्षा का अधिकार
अशोक चौधरी ने यह भी कहा कि यदि कोई अपनी जान को खतरे में महसूस करता है और उसे आत्मरक्षा के लिए कदम उठाना पड़ता है, तो यह उसकी वैध अधिकारिता है। उनका कहना था कि किसी भी व्यक्ति को अपने बचाव में कार्रवाई करने का अधिकार है, और अगर अनंत सिंह ने ऐसा किया, तो यह उनके आत्मरक्षात्मक अधिकार के तहत आता है।
Mokama Firing: आरजेडी पर कटाक्ष
इस बयान के साथ ही मंत्री अशोक चौधरी ने विपक्षी पार्टी आरजेडी पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि बिहार में अपहरण उद्योग की शुरुआत करने वाली आरजेडी को इस मामले पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है। उनके अनुसार, आरजेडी की सरकार के दौरान अपहरण और अपराध के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई थी, और अब वही पार्टी इस मामले पर बयान दे रही है। यह आरोप उन्होंने आरजेडी पर राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ने के संदर्भ में लगाया।
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Mokama Firing: नीतीश सरकार का स्थिर नेतृत्व
अशोक चौधरी ने नीतीश कुमार की सरकार का भी बचाव करते हुए कहा कि नीतीश सरकार में कानून का शासन स्थापित है और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है। उनका कहना था कि आज राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पहले से बेहतर है और इस तरह के मामलों को भी विधिक प्रक्रिया के तहत सुलझाया जा रहा है।
राजनीतिक बयानबाजी
इस बीच, यह मामला राज्य की राजनीति में एक और मोड़ लेकर आया है। जहां एक ओर सत्ता पक्ष ने अनंत सिंह को कानूनी प्रक्रिया के तहत निर्दोष साबित करने की बात की, वहीं विपक्षी दलों ने इसे राजनीतिक दृषटिकोन से देखा। मोकामा गोलीकांड ने बिहार की राजनीति में नई बयानबाजी को जन्म दिया है, जो आगामी चुनावों में भी मुद्दा बन सकता है।
मोकामा गोलीकांड पर अशोक चौधरी का बयान यह दर्शाता है कि बिहार की राजनीति में एक ओर बयानबाजी जारी है। जहां एक ओर नीतीश सरकार अपने नेतृत्व को सही ठहरा रही है, वहीं विपक्षी दल राज्य में अपने पुराने शासनकाल के आरोपों का सामना कर रहे हैं। यह मामला अब केवल कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बल्कि बिहार की राजनीतिक चर्चाओं में भी गहराई से जुड़ चुका है।