मध्य प्रदेश में हिंदू बच्चों के मदरसों में नहीं पढ़ने के आदेश के पश्चात अब Bihar के मदरसों के सिलेबस पर भी प्रश्न उठने लगे हैं.
NCPRC ने यहां के सरकारी मदरसों में पढ़ाई जाने वाली कई किताबों पर आपत्ति जताई है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने तालीमुल इस्लाम समेत कई किताबों का जिक्र करते हुए कहा कि इन किताबों में कई आपत्तिजनक बातें लिखी हुई है और यह किताबें पाकिस्तान में छपी है.
कई मदरसों के आरोपों को किया खारिज
वही राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के इस को बिहार में कई मदरसों में खारिज कर दिया है. सरकारी फिटिंग से चलने वाले कई मदरसों के प्रिंसिपल ने बताया कि यहां इस प्रकार की कोई किताब नहीं पढ़ाई जाती है.
Bihar के बगहा ब्लॉक में स्थित मदरसा इस्लामिया खानकाह हजरत मस्तान शाह के कई शिक्षकों ने बताया कि यहां ना तो ऐसी कोई पुस्तक पहले पढ़ाई जाती थी और ना ही सरकार के द्वारा निर्धारित सिलेबस के किसी किताब में ऐसी कोई शिक्षा दी जाती है जिसमें गैर इस्लामिक को काफिर कहा गया हो.
मदरसे एवं इस्लाम को बदनाम करने की साजिश की जा रही है
वहीं मदरसों में कितने हिंदू बच्चे पढ़ते हैं? इस प्रश्न पर एक सहायक शिक्षक ने हाफिज कलीमुल्लाह ने बताया की शिक्षा हमारा मौलिक अधिकार है परंतु फिलहाल इस मदरसे में कोई भी हिंदू छात्र नहीं है. यह सारी बातें इस्लाम के साथ-साथ मद्रास को भी बदनाम करने की साजिश की गई है ताकि समाज में सिर्फ नफरत पहले और सामाजिक सौहार्द बिगड़े.
असल में सीपीपीसीआर की राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानून को ने सोशल मीडिया पर बताया कि बिहार राज्य में सरकारी फीडिंग से चलने वाले मदरसों में तालीमुल इस्लाम एवं ऐसी ही अन्य किताबें पढ़ाई जा रही है इस किताब में गैर इस्लामिक को काफिर बताया गया है.
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इन मदरसों मैं हिंदू बच्चों को भी दाखिला दिए जाने की खबर मिली है लेकिन बिहार सरकार संख्या अनुपात की आधिकारिक जानकारी नहीं दे रही है और वही हिंदू बच्चों को मदरसों से विद्यालय में स्थानांतरित करने के प्रश्न पर बिहार मदरसा बोर्ड ने बताया कि मदरसे का पाठ्यक्रम यूनिसेफ ने तैयार किया है.”