Bihar में 20 साल से NDA का राज, लेकिन साक्षरता दर सबसे कम – RJD का सरकार पर हमला

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Bihar में पिछले दो दशकों से NDA सत्ता में बनी हुई है, लेकिन राज्य की साक्षरता दर आज भी देश में सबसे कम बनी हुई है। इस मुद्दे को लेकर अब आरजेडी (RJD) ने सरकार पर जोरदार हमला बोला है।

विपक्ष का आरोप है कि लंबे समय से सत्ता में रहने के बावजूद सरकार शिक्षा के क्षेत्र में अपेक्षित सुधार लाने में विफल रही है।

Bihar News: RJD का सरकार पर निशाना

आरजेडी नेताओं ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि 20 साल तक शासन में रहने के बाद भी एनडीए सरकार प्रदेश की साक्षरता दर को बढ़ाने में असफल रही है। विपक्ष का तर्क है कि राज्य में शिक्षा के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएँ तो हुईं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।

  • आरजेडी ने आरोप लगाया कि सरकार केवल आंकड़ों का खेल खेल रही है, जबकि हकीकत में शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई है।
  • सरकारी स्कूलों की स्थिति दयनीय बनी हुई है, शिक्षकों की भारी कमी है और आधारभूत संरचना में भी सुधार नहीं किया गया है।
  • लड़कियों और ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों की शिक्षा तक पहुँच अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

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Bihar की साक्षरता दर पर एक नज़र

राष्ट्रीय आंकड़ों के अनुसार, बिहार की साक्षरता दर देश में सबसे कम है।

  • 2011 की जनगणना के अनुसार, बिहार की साक्षरता दर 63.82% थी, जो कि राष्ट्रीय औसत से काफी कम थी।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या और भी गंभीर है, जहाँ शिक्षा का स्तर बेहद निम्न बना हुआ है।
  • हाल ही में जारी विभिन्न रिपोर्टों में भी बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की धीमी गति को उजागर किया गया है।

Bihar Politics: NDA सरकार का बचाव

सरकार ने आरजेडी के इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं।

  • मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना और पोशाक योजना जैसी योजनाओं ने स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या को कम किया है।
  • सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ा है और उच्च शिक्षा तक छात्रों की पहुँच में भी सुधार हुआ है।
  • सरकार ने यह भी तर्क दिया कि पिछले कुछ वर्षों में बिहार में उच्च शिक्षा के लिए नए विश्वविद्यालय और कॉलेज खोले गए हैं।

राजनीतिक बहस का असर

बिहार में साक्षरता दर को लेकर छिड़ी यह बहस राजनीतिक गलियारों में गर्म हो गई है। आरजेडी जहां इसे सरकार की विफलता बता रही है, वहीं एनडीए अपने विकास कार्यों का बचाव कर रही है। आगामी चुनावों में यह मुद्दा एक महत्वपूर्ण विषय बन सकता है, क्योंकि शिक्षा किसी भी राज्य की प्रगति का प्रमुख आधार होती है।


बिहार में 20 वर्षों से एनडीए सत्ता में है, लेकिन साक्षरता दर में अपेक्षित सुधार नहीं दिख रहा है। इस मुद्दे को लेकर विपक्ष लगातार सरकार को घेर रहा है। सरकार के दावों और विपक्ष के आरोपों के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आने वाले दिनों में बिहार की शिक्षा नीति में कोई ठोस सुधार देखने को मिलेगा या यह बहस केवल राजनीतिक मुद्दा बनकर रह जाएगी।

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