NITI Aayog: विपक्षी एकता में पड़ रही फूट, ममता बनर्जी एवं हेमंत सोरेन नीति आयोग की बैठक में होंगे सम्मिलित

Delhi: NITI Aayog: कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि वो Niti की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में हिस्सा लेंगी.

उन्होंने दावा किया कि उनके साथ झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी इस बैठक का हिस्सा बनेंगे. यह ऐलान विपक्षी एकता में दरार का संकेत देता है क्योंकि इंडिया ब्लॉक में शामिल अन्य विपक्षी दलों ने इस बैठक का बहिष्कार करने का ऐलान किया है.

Niti Aayog: ममता बनर्जी ने दिया ये बयान

ममता बनर्जी ने कोलकाता में कहा “मैंने पहले ही फैसला कर लिया है कि मैं नीति आयोग की बैठक में जाऊंगी. लेकिन केंद्र सरकार का रवैया अलग है. उन्होंने हमसे कहा है कि हमें लिखकर भेजें कि किस तरह से बंगाल को बजट से वंचित किया गया है. हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते.”

ममता का कहना है कि केंद्र सरकार ने बजट में भेदभाव किया है और यह भेदभाव उन्हें पसंद नहीं है. इसलिए उन्होंने अपनी आवाज उठाने के लिए नीति आयोग की बैठक में जाने का फैसला किया है. ममता ने यह भी कहा कि वे कुछ समय के लिए वहां बैठक में रहेंगी और अगर उन्हें कुछ कहने की इजाजत दी जाती है तो वे अपनी बात रखेंगी. हेमंत सोरेन भी इस बैठक में शामिल होंगे और अपनी चिंताएं बताने की कोशिश करेंगे.

केंद्र सरकार पर लगाया आरोप

ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर राजनीतिक और आर्थिक नाकेबंदी का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि बीजेपी लोगों को और बंगाल को बांटना चाहती है. ममता ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने बंगाल को बजट से वंचित किया है और यह भेदभाव उन्हें स्वीकार नहीं है. इंडिया ब्लॉक में शामिल विपक्षी दलों ने पहले ही ऐलान किया था कि वे नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करेंगे.

इसमें पंजाब, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं. कांग्रेस ने भी कहा था कि पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री इस बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे.

विपक्षी एकता में आई दरार

इससे पहले लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर भी विपक्षी एकता में फूट पड़ गई थी. टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने कांग्रेस को दो सीटें दिए जाने का ऐलान किया था जबकि कांग्रेस अन्य सीटों पर भी दावेदारी कर रही थी. बाद में ममता ने अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था.

ममता बनर्जी और हेमंत सोरेन का नीति आयोग की बैठक में शामिल होने का फैसला विपक्षी एकता के लिए एक चुनौती है. अब देखना होगा कि इस फूट का आने वाले समय में क्या असर पड़ता है.

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