Nitish Sarkaar पर अफसरशाही का आरोप, विपक्ष ने उठाए सवाल

Patna: बिहार की नीतीश कुमार सरकार (Nitish Sarkar) पर विपक्षी दलों द्वारा बार-बार आरोप लगाए जा रहे हैं कि यह सरकार अधिकारियों के प्रभाव में काम कर रही है।

राजद और जन सुराज का आरोप: रिटायर्ड अफसरों पर अत्यधिक निर्भरता

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा है कि नीतीश सरकार आईएएस और आईपीएस अधिकारियों पर अधिक निर्भर है, विशेष रूप से रिटायर्ड अधिकारियों पर। उनका कहना है कि कुछ चुनिंदा अधिकारी राज्य सरकार चला रहे हैं, जिससे सरकार अफसरशाही के इशारों पर काम करती प्रतीत हो रही है।

विपक्ष के आरोप: Nitish Sarkar चुनिंदा अधिकारियों के प्रभाव में काम कर रही है

राजद और जन सुराज के नेताओं का दावा है कि बिहार सरकार का प्रशासनिक नियंत्रण कुछ खास अधिकारियों के हाथ में है, जो राज्य के महत्वपूर्ण निर्णय ले रहे हैं। हाल ही में सेवानिवृत्त अधिकारियों को राज्य के प्रमुख पदों पर नियुक्त किया गया है, जिससे विपक्ष को नीतीश सरकार पर सवाल उठाने का मौका मिला है।

महत्वपूर्ण नियुक्तियां: सेवानिवृत्त अधिकारियों को राज्य के शीर्ष पद मिले

हाल ही में, ब्रजेश मेहरोत्रा, जो राज्य के मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए थे, उन्हें बिहार के मुख्य सूचना आयुक्त बनाया गया है। इसके अलावा, गोपालगंज के पूर्व डीएम मकसूद आलम को बिहार कर्मचारी चयन आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया। अंजनी कुमार सिंह, जो मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए थे, उन्हें बिहार म्यूजियम का डायरेक्टर बनाया गया है। इसी तरह, अन्य कई वरिष्ठ अधिकारियों को भी प्रमुख पदों पर नियुक्त किया गया है।

जेडीयू का जवाब: आरोप बेबुनियाद, सुशासन और जनहित में कार्य कर रही सरकार

हालांकि, जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। जेडीयू के नेताओं का कहना है कि यह आरोप सिर्फ राजनीतिक बदनामी का प्रयास है और सरकार पूरी तरह से जनहित में कार्य कर रही है। उनका तर्क है कि जो अधिकारी सेवा के दौरान अच्छे परिणाम दे रहे थे, उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपना गलत नहीं है।

राज्य को विकास की राह पर ले जाने का काम नीतीश कुमार ने बखूबी किया है

जदयू के प्रवक्ता हेमराज ने विपक्ष के आरोपों का कड़ा जवाब देते हुए कहा कि विपक्ष का काम सिर्फ आरोप लगाना रह गया है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने 2005 में जब बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब से लेकर अब तक उन्होंने राज्य की भलाई के लिए कई चुनौतीपूर्ण कार्य किए हैं। बिहार को एक नया स्वरूप देने और राज्य को विकास की राह पर ले जाने का काम नीतीश कुमार ने बखूबी किया है।

हेमराज ने कहा कि जो लोग यह आरोप लगा रहे हैं कि कुछ खास अधिकारियों को विशेष पदों पर नियुक्त किया जा रहा है, वे यह भूल रहे हैं कि नीतीश कुमार सुशासन के लिए जाने जाते हैं। उनकी सरकार संविधान के अनुसार काम करती है और किसी भी पदाधिकारी पर राजनीतिक दबाव नहीं बनाती। अधिकारियों को स्वतंत्रता दी जाती है कि वे सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुंचाएं और संविधान के दायरे में रहकर कार्य करें।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अच्छे काम करने वाले अधिकारियों को प्रमोशन और सम्मान मिलता है, लेकिन जो अधिकारी या कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाते हैं, उन पर सख्त कार्रवाई की जाती है। हेमराज ने उदाहरण देते हुए बताया कि एक पूर्व डीजीपी, जो भ्रष्टाचार में शामिल थे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई। उनकी संपत्ति जब्त की गई और उनके आलीशान घर में एक सरकारी स्कूल खोल दिया गया।

हेमराज का बयान: भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस, सरकार संविधान के अनुसार चलती है

हेमराज ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि वे इस तरह के मामलों को भूल जाते हैं और सिर्फ सरकार को बदनाम करने के लिए अनर्गल आरोप लगाते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि नीतीश सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करती है और ऐसे किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाता जो कानून का उल्लंघन करता है।

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