Nitish Kumar एनडीए को छोड़कर आगामी 5 वर्षों तक कहीं नहीं जाने वाले, यह है मुख्य कारण

बिहार की राजनीति में CM Nitish Kumar की भूमिका पर कोई भविष्यवाणी करना मुश्किल हो सकता है लेकिन हाल ही में जेडीयू की कमान संजय झा को सौंपने से यह स्पष्ट हो गया है कि नीतीश कुमार फिलहाल बीजेपी से दोस्ती तोड़ने की योजना नहीं बना रहे हैं.

Nitish Kumar News: जेडीयू और बीजेपी के बीच के रिश्ते उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं

पिछले कुछ वर्षों में जेडीयू और बीजेपी के बीच के रिश्ते उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं. नीतीश कुमार ने दो बार बीजेपी से अलग होकर महागठबंधन का दामन थामा लेकिन दोनों बार उन्हें एनडीए में वापसी करनी पड़ी. इन दोनों ही मौकों पर संजय झा ने बीजेपी से तालमेल बिठाकर नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी कराई जिससे वह बीजेपी-जेडीयू के बीच एक मजबूत कड़ी साबित हुए.

यही वजह है कि नीतीश कुमार ने संजय झा को जेडीयू का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है ताकि बीजेपी को भरोसा दिलाया जा सके.

Nitish Kumar और केंद्र में PM Modi बिना किसी दबाव के काम करेंगे

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक बीजेपी-जेडीयू के बीच यह सहमति बनी है कि बिहार में नीतीश कुमार और केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिना किसी दबाव के काम करेंगे. इसके साथ ही बीजेपी ने 2025 के विधानसभा चुनाव में भी नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. इससे यह साफ हो जाता है कि बीजेपी इस बार नीतीश कुमार को कोई मौका नहीं देना चाहती कि वह गठबंधन से बाहर निकलें.

महागठबंधन की ओर से किसी भी मुद्दे पर दरार डालने की कोशिश की जाती है तो डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी तुरंत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात करके स्थिति स्पष्ट कर लेते हैं. यह रणनीति बीजेपी और जेडीयू के बीच आपसी समझ और भरोसे को मजबूत करने का काम करती है जिससे गठबंधन स्थिर रहता है.

Nitish Kumar को अपना भविष्य भाजपा के साथ अधिक सुरक्षित नजर आ रहा है

बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भाजपा के साथ गठबंधन और इसका भविष्य चर्चा का मुख्य विषय बना हुआ है. राजद नेता तेजस्वी यादव चाहे जितना भी सीएम नीतीश कुमार को उकसाने की कोशिश करें लेकिन नीतीश कुमार को अपना भविष्य भाजपा के साथ अधिक सुरक्षित नजर आ रहा है. जेडीयू और भाजपा का गठबंधन स्वाभाविक माना जाता है. दोनों पार्टियों के एक साथ होने पर पार्टी कार्यकर्ताओं को चुनाव में अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती.

हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के नतीजे इसका ताजा उदाहरण हैं जहां यूपी में भाजपा को कठिनाईयों का सामना करना पड़ा वहीं बिहार में तेजस्वी यादव का प्रदर्शन फिर से असफल रहा.

नीतीश कुमार को एनडीए में बने रहने का फायदा आगामी विधानसभा चुनाव में भी मिल सकता है क्योंकि चिराग पासवान ने अब नीतीश कुमार को गठबंधन का नेता स्वीकार कर लिया है. पिछले विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की वजह से जेडीयू को सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था लेकिन इस बार स्थिति बदल चुकी है.

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