Nitish Kumar के दिल्ली दौरे से बिहार में राजनीतिक अटकलें तेज

Nitish Kumar: बिहार की राजनीति में हाल ही में दिलचस्प घटनाक्रम देखने को मिल रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के पटना दौरे के बाद, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अचानक दिल्ली रवाना होना राजनीतिक हलकों में चर्चाओं को जन्म दे रहा है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह महज संयोग है, या इसके पीछे कुछ खास राजनीतिक मकसद छिपा है?

Nitish Kumar: स्वास्थ्य कारणों से दिल्ली रवाना, फिर भी चर्चाओं का बाजार गर्म

बीते शनिवार को जेपी नड्डा पटना आए थे, जिसके बाद अब नीतीश कुमार दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। दो दिनों में हुई इन घटनाओं ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार नीतीश कुमार का दिल्ली जाना स्वास्थ्य कारणों से है, फिर भी अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक उनकी इस यात्रा में झारखंड और बिहार विधानसभा चुनावों को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के नेताओं के साथ बातचीत की संभावना भी है।

एनडीए की चुनावी रणनीति पर भी हो सकती है बातचीत

राजनीतिक हलकों में चल रही चर्चाओं के अनुसार, कुछ लोग यह मान रहे हैं कि नीतीश कुमार भाजपा से नाराज हो सकते हैं। जेपी नड्डा का 21 दिनों के भीतर दूसरी बार बिहार दौरा करना भी इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। हालांकि, सरकार में स्थिरता को देखते हुए इसे महज अफवाह कहा जा रहा है। पिछले कुछ दिनों में बोर्ड और आयोगों के गठन में भाजपा-जदयू के बीच सहमति बनी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार में कोई अस्थिरता नहीं है।

Nitish Kumar के दिल्ली जाने की प्रमुख वजह स्वास्थ्य बताई जा रही है। वे अक्सर अपनी स्वास्थ्य जांच के लिए दिल्ली जाते रहे हैं, खासकर आंखों के इलाज के लिए। इसके अलावा, लंबे समय से वे मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं और केवल सरकारी बैठकों और निरीक्षणों के माध्यम से सक्रिय हैं। हालांकि, यदि उन्हें दिल्ली में समय मिलेगा तो संभव है कि वे झारखंड और बिहार चुनावों को लेकर एनडीए की रणनीति पर भी चर्चा करेंगे।

भाजपा-जदयू के बीच असहमति की अफवाहों को बताया गया गलत

बिहार की राजनीति में हाल ही में उथल-पुथल की चर्चा फिर से जोर पकड़ने लगी है। मीडिया में यह बातें फैलाई जा रही हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नाराज हैं। इसका आधार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का 21 दिनों में दूसरी बार बिहार आना बताया जा रहा है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार फिलहाल पूरी तरह से स्थिर है।

पिछले 20-25 दिनों में विभिन्न आयोगों और बोर्डों के गठन में जो निर्णय लिए गए

बोर्ड, निगम, और आयोगों के गठन में नीतीश कुमार और भाजपा के बीच हालिया सहमति को देखते हुए यह स्पष्ट है कि दोनों दलों के बीच कोई बड़ी असहमति नहीं है। पिछले 20-25 दिनों में विभिन्न आयोगों और बोर्डों के गठन में जो निर्णय लिए गए हैं, वे सरकार की स्थिरता की ओर इशारा करते हैं।

यदि कोई नाराजगी होती, तो नीतीश कुमार पहले की तरह मंत्रिपरिषद या अन्य आयोगों के विघटन के कदम उठाते, जैसा उन्होंने महागठबंधन के समय किया था। इस समय भाजपा और जदयू के नेता इन राजनीतिक अफवाहों को विपक्ष द्वारा प्रायोजित बता रहे हैं।

नीतीश कुमार के दिल्ली जाने के पीछे की असल वजह उनके स्वास्थ्य कारणों से जुड़ी है। वे अक्सर अपनी आंखों की जांच के लिए दिल्ली जाते रहे हैं, और पिछले एक साल से कुछ स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। इसके चलते उनके विदेश जाने की भी चर्चा उठी थी, पर इस पर उन्होंने कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया।

मुख्यमंत्री लंबे समय से मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं और केवल सरकारी बैठकों व निरीक्षणों के जरिए अपनी सक्रियता बनाए रखे हुए हैं। ऐसे में उनके दिल्ली दौरे को स्वास्थ्य कारणों से देखा जा रहा है। हालांकि, जदयू और भाजपा के नेता यह भी कह रहे हैं कि यदि दिल्ली में समय मिलता है, तो नीतीश कुमार एनडीए के नेताओं के साथ झारखंड और बिहार विधानसभा चुनावों को लेकर रणनीतिक चर्चा कर सकते हैं।

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