Patna: लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए लालू यादव के साले Sadhu Yadav मैदान में उतर सकते हैं. साधु यादव ने इस बात के संकेत दिए हैं.
मीडिया से यह बातचीत में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि अभी हम इस बारे में कुछ नहीं बोल पाएंगे परंतु अभी समय है. हम कोशिश करेंगे. इसके साथ उन्होंने पूर्णिया सीट पर बात करते हुए कहा कि पप्पू यादव के साथ गलत हुआ है.
अबे पहले से ही मेहनत करते आए हैं परंतु जानबूझकर ऐसे लोगों को महागठबंधन उतार रही है जो डमी कैंडिडेट है. पप्पू यादव का प्रश्न नहीं है. जो पप्पू यादव को कांग्रेस मिल रही थी तो उसे टिकट देना चाहिए था. यह आरजेडी तथा कांग्रेस के बीच का मामला है.
पप्पू यादव की राह मुश्किल है – Sadhu Yadav
लोकसभा चुनाव में हार जीत का परसेप्शन चलता रहता है. प्रत्याशी कितना भी मजबूत क्यों ना हो पार्टी के सिंबल पर ही चुनाव लड़ता है. अब वह पुराना युग नहीं है जब निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनाव जीत करते थे. पहले निर्दलीय का दौर था. सिवान से निर्दलीय को जीता दिया गया था. और वही पूर्णिया से पप्पू यादव भी निर्दलीय जीत गए थे. परंतु उसके पश्चात तो पार्टी से ही चुनाव जीते हैं, पूर्णिया हुआ, मेधपुरा हुआ….. यह तो चला है. परंतु आज के दौर में बिना पार्टी के नहीं लगता है कि कोई निर्दलीय चुनाव जीत भी सकता है. ऐसे में अब पप्पू यादव का रास्ता कठिन लग रहा है.
महागठबंधन में पैसे का खेल
Sadhu Yadav ने खुद को यही नहीं रोका उन्होंने महागठबंधन पर भी बहुत गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है की सीट बंटवारे में पैसे का खेल हुआ है. पैसे को लेकर प्रत्याशियों को टिकट दी गई है. उम्मीदवारों को ढूंढ ढूंढ कर लाया जा रहा है. तो यह देखकर नहीं लगता है कि कोई उम्मीदवार सीरियस है. कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं को सिर्फ निराशा हाथ लगी है.
कांग्रेस का तो कोई उम्मीदवार भी नहीं मिल रहा है वह अभी भी ढूंढ रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल भी खोज खोज कर ला रही है. हरियाणा का उम्मीदवार दीपक यादव को बाल्मीकि नगर से चुनावी मैदान में उतर गया है. तो इस प्रकार के कैंडिडेट लड़ेंगे, तो बिहार है….. जनता है, यहां यह नहीं चलेगा. महागठबंधन में कुछ दलाल लोग लगे हैं जो तीन-पांच कर रहे हैं.
ऐसे हुआ पप्पू यादव के साथ खेल
ज्ञात होगी पूर्णिया सीट से चुनाव लड़ने के लिए पप्पू यादव ने बीते माह 20 मार्च को दिल्ली में अपनी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर लिया था. इसके पश्चात वह पार्टी से पूर्णिया सीट पर अपनी उम्मीदवारी का टिकट चाहते थे. वही पूनिया सेट को लेकर बिहार में महागठबंधन में सम्मिलित राष्ट्रीय जनता दल एवं कांग्रेस के बीच ठन गई थी.
कांग्रेस को लाल यादव किसी भी कीमत पर पूर्णिया सीट नहीं देना चाहते थे. इसके चलते सीट बंटवारे फाइनल होने से पूर्व ही लाल यादव ने बीमा भारती को बुलाकर पूर्णिया से चुनाव लड़ने के लिए अपनी पार्टी का सिंबल दिया था. इसके पश्चात दिल्ली में सीट बंटवारे के लिए राष्ट्रीय जनता दल एवं कांग्रेस के मध्य जो मीटिंग हुई थी उसमें लालू प्रसाद के दबाव में आकर कांग्रेस को झुकना पड़ा तथा पूर्णिया सीट से उन्होंने अपना दावा छोड़ा.