झारखंड में PESA कानून को लागू करने के लिए इससे संबंधित नियमावली को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा और इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी ली जाएगी. पंचायती राज विभाग ने इस नियमावली का प्रारूप तैयार कर लिया है और गुरुवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसकी समीक्षा बैठक करेंगे.
इस बैठक में मुख्यमंत्री के समक्ष नियमावली का फॉर्मेट प्रस्तुत किया जाएगा. इससे पहले आम जनता से सुझाव और आपत्तियों को आमंत्रित किया गया था और उन्हें ध्यान में रखते हुए नियमावली को अंतिम रूप दिया गया है.
इस नियमावली में पुलिस की भूमिका को भी स्पष्ट किया गया है
प्रस्तावित नियमावली के अनुसार, ग्राम सभाओं को अधिक सशक्त और आर्थिक रूप से सक्षम बनाने पर जोर दिया गया है. ग्राम सभा की बैठकों की अध्यक्षता पारंपरिक मुखिया जैसे मानकी मुंडा करेंगे. सरकार ग्राम सभा की सहमति के बिना जमीन का अधिग्रहण नहीं कर सकेगी. आदिवासियों की जमीन की खरीद-बिक्री के मामलों में भी ग्राम सभा की सहमति अनिवार्य होगी. इस नियमावली में पुलिस की भूमिका को भी स्पष्ट किया गया है.
किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के 48 घंटे के अंदर गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी ग्राम सभा को देना अनिवार्य किया गया है. आदिवासियों की जमीन वापस करने का अधिकार भी ग्राम सभा को दिया गया है.
इसके अलावा ग्राम सभा में खाद्य कोष, श्रम कोष, नकद कोष आदि का गठन करने का प्रावधान किया गया है. इन कोषों में दान, प्रोत्साहन राशि, दंड शुल्क, वनोपज, रॉयल्टी, तालाब, बाजार, मेला आदि से प्राप्त राशि जमा की जाएगी. यह व्यवस्था ग्राम सभा को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी और विकास कार्यों में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करेगी.
इस नियमावली के लागू होने से झारखंड में ग्राम सभाओं को एक नया सशक्तिकरण मिलेगा और आदिवासी समुदायों की जमीन और अधिकारों की सुरक्षा होगी. सरकार का यह कदम ग्राम पंचायतों को न सिर्फ अधिक स्वायत्त बनाएगा बल्कि स्थानीय प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही भी सुनिश्चित करेगा. ग्राम सभा को अधिकतम 10,000 रुपए नकद रखने की अनुमति होगी. इससे अधिक राशि बैंक खाते में जमा की जाएगी.
कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए ग्राम सभा 10 रुपए से लेकर 1,000 रुपए तक का जुर्माना भी लगा सकती है. हालांकि दंडित व्यक्ति के पास अपील करने का अधिकार होगा और वे इसके खिलाफ हाईकोर्ट में भी अपील कर सकते हैं. प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन का अधिकार भी ग्राम सभा के पास होगा जिसमें वनोपज पर उनका अधिकार शामिल है.
कानून व्यवस्था तोड़ने पर ग्राम सभा निम्नलिखित तरह से जुर्माना लगा सकती है
- दंगा करने पर 100 रुपए तक
- जल स्रोतों को प्रदूषित करने पर 500 रुपए तक
- नकली बाट का इस्तेमाल करने पर 500 रुपए तक
- पशुओं पर क्रूरता करने पर 500 रुपए तक
- धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने पर 500 रुपए तक
- अश्लील हरकतें और अश्लील गाने पर 200 रुपए तक
- जबरन काम कराने, चोरी करने आदि पर 1,000 रुपए तक
यह है PESA Act
पंचायत अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार अधिनियम एक महत्वपूर्ण कानून है जिसे 24 दिसंबर 1996 को पारित किया गया था. इसका उद्देश्य संविधान के भाग IX के प्रावधानों को कुछ अपवादों और संशोधनों के साथ अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तारित करना है. PESA Act के तहत अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को अधिक अधिकार और स्वायत्तता दी जाती है जिससे वे स्थानीय संसाधनों और प्रशासन पर अधिक नियंत्रण रख सकें.
यह कानून विशेष रूप से आदिवासी समुदायों की सुरक्षा और उनके पारंपरिक अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया है. इसके तहत ग्राम सभा को भूमि अधिग्रहण, वनोपज प्रबंधन, स्थानीय विवादों के निपटारे और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन जैसे कई महत्वपूर्ण अधिकार दिए गए हैं. इस कानून का उद्देश्य है कि अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदाय अपनी जीवनशैली, संस्कृति और परंपराओं को बनाए रखते हुए विकास की मुख्यधारा में शामिल हो सकें.
PESA Act ग्राम सभाओं को सशक्त बनाने और उनके अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है.