Manipur सरकार को लेकर सियासी हलचल: JDU समर्थन वापसी की खबर पर स्थिति साफ

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Manipur में जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) के समर्थन वापसी की भ्रामक खबर ने सियासी हलचल मचा दी है। बिहार से लेकर मणिपुर तक इस खबर पर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया।

सवाल उठ रहे थे कि क्या मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की सरकार गिरने का खतरा है। हालांकि, जेडीयू ने इस खबर को निराधार बताते हुए स्थिति स्पष्ट कर दी है।

Manipur News: जेडीयू का स्पष्टीकरण

जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “यह खबर पूरी तरह से भ्रामक और निराधार है। पार्टी ने इसका संज्ञान लिया है और मणिपुर इकाई के अध्यक्ष को उनके पद से मुक्त कर दिया गया है। जेडीयू ने एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) का समर्थन किया है और हमारा समर्थन जारी रहेगा।” इसके साथ ही यह स्पष्ट हो गया है कि मणिपुर में एनडीए सरकार पर फिलहाल कोई खतरा नहीं है।

सियासी गणित: अगर समर्थन वापस लिया जाता तो?

मणिपुर विधानसभा में कुल 60 सीटें हैं। वर्तमान में बीजेपी के पास 32 सीटें, एनपीपी (नेशनल पीपुल्स पार्टी) के पास 7, एनपीएफ (नगा पीपुल्स फ्रंट) के पास 5, और जेडीयू के पास 6 सीटें हैं। इसके अलावा कांग्रेस के पास 5, कुकी पीपुल्स एलायंस (केपीए) के पास 2 और निर्दलीय उम्मीदवारों के पास 3 सीटें हैं।

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भले ही जेडीयू समर्थन वापस ले लेता, लेकिन बीजेपी के पास अभी भी 32 सीटों का बहुमत है। ऐसे में बीरेन सिंह सरकार को तत्काल कोई खतरा नहीं होता। हालांकि, यह जरूर कहा जा सकता है कि एनडीए के लिए भविष्य में चुनौतियां बढ़ सकती हैं।

Manipur News: एनपीपी पहले ही ले चुकी है समर्थन वापस

नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) पहले ही एनडीए से अपना समर्थन वापस ले चुकी है। इसके बावजूद बीजेपी सरकार अपने दम पर स्थिर है। 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 60 में से 32 सीटें जीती थीं, जो स्पष्ट बहुमत के लिए पर्याप्त हैं।

सरकार पर कोई खतरा नहीं

जेडीयू द्वारा समर्थन वापसी की खबरें फैलने के बाद भी मणिपुर सरकार पर कोई तत्काल प्रभाव नहीं पड़ेगा। बीजेपी के पास अपने दम पर स्थिर सरकार चलाने के लिए पर्याप्त संख्या है। जेडीयू ने स्पष्ट किया है कि उसने समर्थन वापस नहीं लिया है, जिससे एनडीए की स्थिति और मजबूत हो गई है।

क्या भविष्य में चुनौतियां बढ़ सकती हैं?

भले ही मणिपुर में एनडीए सरकार फिलहाल स्थिर है, लेकिन सहयोगी दलों के बीच संबंधों में खटास भविष्य में चुनौती बन सकती है। एनपीपी का पहले से समर्थन वापस लेना और जेडीयू से जुड़ी अफवाहें गठबंधन की स्थिरता पर सवाल खड़े करती हैं। ऐसे में बीजेपी को अपने सहयोगियों के साथ बेहतर समन्वय बनाकर आगे बढ़ना होगा।

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