राजनीतिक रणनीतिकार से जननेता बने Prashant Kishor ने शनिवार को बिहारशरीफ में एक जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर गंभीर आरोप लगाए।
किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार अब मानसिक और शारीरिक रूप से सरकार चलाने में सक्षम नहीं रह गए हैं। उनका आरोप था कि आज की तारीख में बिहार की नौकरशाही और सरकार के सहयोगी मंत्री व नेता लूट मचाए हुए हैं और सरकार की योजनाओं का लाभ आम जनता तक नहीं पहुंच रहा है।
अधिकारियों और नेताओं पर लूट का आरोप
प्रशांत किशोर ने कहा कि राज्य में प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा गई है। सरकारी योजनाओं का पैसा बिचौलियों और भ्रष्ट अधिकारियों की जेबों में जा रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि योजनाएं केवल कागजों पर चल रही हैं, जबकि जमीनी स्तर पर गरीबों और जरूरतमंदों को उनका लाभ नहीं मिल रहा है। किशोर ने जनता से अपील करते हुए कहा कि अगर वे बदलाव चाहते हैं तो अपनी आंखों से सच्चाई को देखें और फिर निर्णय लें।
11 मई को नीतीश कुमार के गांव कल्याण बिगहा का दौरा
प्रशांत किशोर ने घोषणा की कि वे 11 मई को नीतीश कुमार के पैतृक गांव, कल्याण बिगहा का दौरा करेंगे। उनका उद्देश्य गांव में जाकर सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत को खुद देखना और जनता को सच्चाई से अवगत कराना है। किशोर ने कहा कि वे वहां जाकर यह देखेंगे कि जिन योजनाओं की घोषणाएं सरकार द्वारा की गई हैं, उनका लाभ वास्तव में गांव के लोगों तक पहुंचा भी है या नहीं।
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जन सुराज यात्रा के तहत लगातार कर रहे हैं जनसंपर्क
प्रशांत किशोर इन दिनों ‘जन सुराज यात्रा’ के तहत बिहार के विभिन्न जिलों का दौरा कर रहे हैं। उनकी इस यात्रा का मकसद है आम जनता से संवाद करना और राज्य की वास्तविक समस्याओं को समझना। किशोर का कहना है कि वे न तो किसी राजनीतिक दल के इशारे पर काम कर रहे हैं, न ही किसी निजी स्वार्थ से। उनका उद्देश्य है कि बिहार में सुशासन की एक नई परिभाषा लिखी जाए।
नीतीश सरकार पर विपक्ष का बढ़ता दबाव
प्रशांत किशोर के आरोपों से एक बार फिर बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने भी किशोर के बयानों का समर्थन करते हुए सरकार पर हमला तेज कर दिया है। राजद और भाजपा के नेताओं ने कहा कि किशोर जो मुद्दे उठा रहे हैं, वे बिल्कुल सटीक हैं और राज्य की जनता भी अब बदलाव चाहती है। प्रशांत किशोर के इस बयान से स्पष्ट है कि बिहार की राजनीति आने वाले दिनों में और अधिक गर्माएगी। नीतीश कुमार के लिए बढ़ती चुनौतियों के बीच जनता का मूड भी अब धीरे-धीरे बदलता दिख रहा है।