अनशन पर बैठे Prashant Kishor की तबीयत बिगड़ी, ICU में भर्ती, दिल्ली से पत्नी को बुलाया गया

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राजनीतिक रणनीतिकार से सामाजिक कार्यकर्ता बने Prashant Kishor की तबीयत अनशन के दौरान अचानक बिगड़ गई। उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है। डॉक्टरों ने उन्हें आईसीयू में रखा है और बेहतर निगरानी के लिए उनकी पत्नी को भी दिल्ली से बुलाया गया है।

Prashant Kishor का अनशन: उद्देश्य और पृष्ठभूमि

प्रशांत किशोर ने बिहार में जनहित के मुद्दों को लेकर यह अनशन शुरू किया था। उनका उद्देश्य है राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्रों में सुधार की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करना। प्रशांत किशोर ने ‘जन सुराज’ अभियान के तहत लोगों को जागरूक करने और सरकार पर दबाव बनाने के लिए यह कदम उठाया। पिछले कई दिनों से वह सिर्फ पानी पीकर अनशन कर रहे थे, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ने लगी।

Prashant Kishor की तबीयत बिगड़ने की वजह

लगातार अनशन और खानपान की कमी के कारण प्रशांत किशोर की सेहत पर बुरा असर पड़ा। डॉक्टरों का कहना है कि शरीर में ग्लूकोज और जरूरी पोषक तत्वों की भारी कमी हो गई है। उनके रक्तचाप में गिरावट आई और कमजोरी इतनी बढ़ गई कि उन्हें बोलने और चलने में भी परेशानी हो रही थी। उनकी स्थिति को देखते हुए तुरंत उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया।

डॉक्टरों का बयान

डॉक्टरों ने मीडिया को जानकारी दी कि प्रशांत किशोर को आईसीयू में रखा गया है और उनकी हालत स्थिर है। उन्हें ड्रिप के जरिए जरूरी पोषण दिया जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि अभी वह पूरी तरह खतरे से बाहर नहीं हैं और उन्हें आराम की सख्त जरूरत है।

परिवार की चिंता और पत्नी की बुलाहट

प्रशांत किशोर की हालत बिगड़ने की खबर सुनते ही उनके परिवार में चिंता का माहौल बन गया। उनकी पत्नी, जो दिल्ली में रहती हैं, को तुरंत बुलाया गया। प्रशांत किशोर के करीबी सूत्रों ने बताया कि उनकी पत्नी ने अस्पताल पहुंचते ही उनकी देखभाल का जिम्मा संभाल लिया।

अनशन पर प्रतिक्रिया

प्रशांत किशोर के इस अनशन को लेकर बिहार में कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने प्रतिक्रिया दी है। उनके समर्थक बड़ी संख्या में अस्पताल के बाहर जमा हो गए हैं। जन सुराज अभियान से जुड़े कार्यकर्ताओं का कहना है कि प्रशांत किशोर का यह कदम राज्य में बदलाव लाने के लिए प्रेरणा देगा।

वहीं, विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर प्रशासन ने प्रशांत किशोर की मांगों को पहले ही गंभीरता से लिया होता, तो आज यह स्थिति नहीं बनती। दूसरी ओर, सत्ताधारी दल ने इसे राजनीतिक स्टंट करार दिया।

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Prashant Kishor का संघर्ष और जनता के साथ जुड़ाव

प्रशांत किशोर ने बिहार में बदलाव लाने के उद्देश्य से राजनीति से अलग हटकर एक सामाजिक आंदोलन की शुरुआत की थी। ‘जन सुराज’ अभियान के तहत उन्होंने ग्रामीण इलाकों में जाकर लोगों की समस्याओं को समझा और उनकी आवाज को उठाने का काम किया। इस अभियान के माध्यम से उन्होंने युवाओं, किसानों और महिलाओं से संवाद स्थापित किया।

उनके इस प्रयास को जनता के बीच सराहना मिली, लेकिन सरकार की ओर से अपेक्षित समर्थन नहीं मिला। अनशन उनके आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जिसमें वह जनता की समस्याओं को लेकर अपना विरोध दर्ज करवा रहे थे।

सवाल उठता है: क्या अनशन का यह तरीका सही है?

प्रशांत किशोर का अनशन निश्चित रूप से एक साहसी कदम है, लेकिन यह सवाल भी उठता है कि क्या यह तरीका उनकी या जनता की समस्याओं का हल है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार से संवाद और नीति-निर्माण की प्रक्रिया में भाग लेना एक बेहतर विकल्प हो सकता है।

जनता का समर्थन और चिंता

प्रशांत किशोर की बिगड़ती सेहत को लेकर जनता के बीच चिंता और समर्थन का माहौल है। सोशल मीडिया पर उनके समर्थक उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं। कई लोग उनके अनशन को एक प्रेरणादायक कदम मानते हैं और उनकी साहसिकता की सराहना कर रहे हैं।

भविष्य का मार्ग

प्रशांत किशोर की इस स्थिति ने एक बार फिर जन आंदोलन और सरकार के बीच संवाद की जरूरत को उजागर किया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशांत किशोर अपनी सेहत में सुधार के बाद इस आंदोलन को किस दिशा में ले जाते हैं।

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