झारखंड के साहिबगंज जिले में गंगा नदी की धारा में 162 डॉल्फिन (Project Dolphin) पाई गई हैं। यह आंकड़ा झारखंड को देश में डॉल्फिन संरक्षण के मामले में पांचवां स्थान दिलाता है।
हाल ही में हुए सर्वेक्षण में यह जानकारी सामने आई है, जिससे गंगा में जलजीवों के संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक संकेत मिला है।
Project Dolphin: डॉल्फिन संरक्षण की अनूठी पहल
भारत सरकार ने 2020 में “प्रोजेक्ट डॉल्फिन” की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य गंगा और अन्य नदियों में पाई जाने वाली डॉल्फिन की संख्या को संरक्षित और बढ़ावा देना है। इस परियोजना के तहत विभिन्न राज्यों में डॉल्फिन की गिनती और उनके प्राकृतिक आवास को संरक्षित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
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गंगा डॉल्फिन का महत्व और संरक्षण की चुनौतियाँ
गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन, जिसे “गंगा रिवर डॉल्फिन” कहा जाता है, एक दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजाति है। जल प्रदूषण, अवैध शिकार और नदियों में बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप के कारण इनकी संख्या लगातार घट रही थी। लेकिन झारखंड में डॉल्फिन की वर्तमान संख्या यह संकेत देती है कि संरक्षण प्रयासों का सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
झारखंड में डॉल्फिन संरक्षण के लिए उठाए जा रहे कदम
राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन गंगा डॉल्फिन के संरक्षण के लिए कई पहल कर रहे हैं, जिनमें जागरूकता अभियान, जल प्रदूषण को कम करने के प्रयास और डॉल्फिन के अनुकूल पर्यावरण सुनिश्चित करना शामिल है। साहिबगंज में डॉल्फिन पर्यटन को भी बढ़ावा देने की योजना बनाई जा रही है, जिससे न केवल इन जीवों की सुरक्षा होगी बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
प्रोजेक्ट डॉल्फिन के तहत झारखंड में हो रहे संरक्षण प्रयासों के कारण गंगा में डॉल्फिन की संख्या संतोषजनक बनी हुई है। यदि सरकार और स्थानीय समुदाय मिलकर इन प्रयासों को जारी रखते हैं, तो आने वाले वर्षों में झारखंड इस क्षेत्र में और भी बेहतर प्रदर्शन कर सकता है।