कांग्रेस नेता Rahul Gandhi ने एक बार फिर जातिगत जनगणना के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को निशाने पर लिया है.
जल्द ही 90% भारतीय जाति जनगणना का समर्थन और मांग करेंगे: Rahul Gandhi
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इंडिया टुडे के एक सर्वे को शेयर करते हुए मोदी सरकार को चुनौती दी. उन्होंने कहा “मोदी जी अगर आप जाति जनगणना को रोकने के बारे में सोच रहे हैं तो आप सपना देख रहे हैं. अब इसे कोई भी शक्ति नहीं रोक सकती! हिंदुस्तान का ऑर्डर आ चुका है— जल्द ही 90% भारतीय जाति जनगणना का समर्थन और मांग करेंगे.”
राहुल गांधी ने यह बयान उस सर्वे के बाद दिया जिसमें यह सामने आया कि देश के 74% लोग जातिगत जनगणना के समर्थन में हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि मोदी सरकार इसे लागू नहीं करती तो अगला प्रधानमंत्री इसे अवश्य करेगा. राहुल गांधी ने इससे पहले भी जाति आधारित जनगणना की मांग को जोर-शोर से उठाया था. उन्होंने कहा था कि जब उन्होंने पूर्व मिस इंडिया की सूची देखी तो उन्हें विजेताओं में कोई दलित, आदिवासी या ओबीसी नहीं मिला.
उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम और मीडिया में शीर्ष एंकरों की भी इसी प्रकार की स्थिति पर सवाल उठाया यह इंगित करते हुए कि इन क्षेत्रों में भी समानता का अभाव है.
जातिगत जनगणना का मुद्दा राहुल गांधी और विपक्षी दलों के लिए चुनावी एजेंडे का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है. हाल ही में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने केंद्र सरकार को सलाह दी थी कि जनगणना के दौरान एक अतिरिक्त कॉलम जोड़कर ओबीसी जातियों का डेटा इकट्ठा किया जा सकता है जिससे सामाजिक न्याय को और सशक्त बनाया जा सके.
राहुल गांधी के इस आक्रामक रुख ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है और मोदी सरकार पर इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर कदम उठाने का दबाव बढ़ा दिया है. जातिगत जनगणना की मांग अब देशव्यापी बहस का केंद्र बन चुकी है और आने वाले समय में यह राजनीति के कई समीकरणों को प्रभावित कर सकती है.
मिस इंडिया से लेकर क्रिकेट टीम तक राहुल गांधी ने उठाए सवाल?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में जातिगत जनगणना की मांग को फिर से उठाते हुए देश में सामाजिक और आर्थिक असमानताओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है. उन्होंने कहा कि उन्होंने पूर्व मिस इंडिया की सूची देखी, लेकिन उनमें कोई भी विजेता दलित, आदिवासी या ओबीसी समुदाय से नहीं था. उन्होंने यह भी कहा कि क्रिकेट और बॉलीवुड जैसे क्षेत्रों की चर्चा तो की जाती है लेकिन मोची, प्लंबर और अन्य ऐसे पेशों में लगे लोगों का जिक्र नहीं होता.
राहुल गांधी का कहना है कि मीडिया में भी शीर्ष एंकरों में से 90 प्रतिशत लोग इन वर्गों से नहीं आते हैं जो दर्शाता है कि समाज के बड़े हिस्से की भागीदारी में कमी है.
‘वास्तविक आबादी के अनुसार आरक्षण मिले’
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सवाल उठाते हुए कहा “हम यह जानना चाहते हैं कि संस्थानों कॉरपोरेट्स, बॉलीवुड, और मिस इंडिया जैसी प्रतियोगिताओं में 90 प्रतिशत से अधिक आबादी का प्रतिनिधित्व कहां है? यह एक गंभीर मुद्दा है और इस पर रोक लगनी चाहिए.” उन्होंने जोर देकर कहा कि देश की विभिन्न संस्थाओं में दलित, आदिवासी और ओबीसी समुदायों की समान भागीदारी होनी चाहिए.
जातिगत जनगणना की मांग के पीछे का मकसद यह है कि समाज के हर वर्ग को उसकी वास्तविक आबादी के अनुसार आरक्षण मिले. वर्तमान में केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आंकड़े जनगणना में शामिल होते हैं जबकि ओबीसी जातियों की गिनती नहीं होती. इस वजह से ओबीसी समुदाय की वास्तविक जनसंख्या का पता नहीं चल पाता जिससे आरक्षण के मामले में उन्हें उचित हिस्सेदारी नहीं मिल पाती.
आखिर क्यों उठ रही है मांग
जातिगत जनगणना के विरोध में यह तर्क दिया जाता है कि अगर ओबीसी की आबादी ज्यादा निकलती है तो उनके लिए अधिक आरक्षण की मांग उठ सकती है. वर्तमान में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलता है, जो 1931 में हुई आखिरी जाति जनगणना के आधार पर है. 1990 में मंडल आयोग ने 1931 के आंकड़ों के आधार पर ओबीसी की आबादी 52 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया था.
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राहुल गांधी के इस बयान और जातिगत जनगणना की मांग ने देश में एक बार फिर सामाजिक न्याय और समानता के मुद्दे पर बहस को तेज कर दिया है. अब यह देखना होगा कि सरकार और अन्य राजनीतिक दल इस पर क्या रुख अपनाते हैं और क्या जातिगत जनगणना की मांग को भविष्य में पूरा किया जाएगा.