कांग्रेस नेता Rahul Gandhi का संभल जाने का प्रयास हाल के दिनों में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। बुधवार को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने संभल में हुई हिंसा की स्थिति का जायजा लेने की कोशिश की, लेकिन प्रशासन ने उन्हें दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर गाजीपुर बॉर्डर पर रोक दिया।
कई घंटों तक इंतजार के बाद भी उन्हें आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी गई, जिससे उनका काफिला वापस लौटना पड़ा। इस घटना के बाद राहुल गांधी ने 6 दिसंबर को संभल जाने का फैसला किया है।
Rahul Gandhi News: क्या है 6 दिसंबर का महत्व?
6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी के तौर पर याद किया जाता है। इस दिन देश भर में संवेदनशीलता बढ़ जाती है, खासकर उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में। राहुल गांधी का इस दिन संभल जाने का फैसला न केवल हिंसा प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने के लिए है, बल्कि यह कांग्रेस की राजनीतिक रणनीति का भी हिस्सा माना जा रहा है। कांग्रेस इस घटना को मानवाधिकार और संविधान के सम्मान से जोड़कर दिखाना चाहती है।
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Rahul Gandhi को क्यों रोका गया?
प्रशासन का कहना है कि संभल में स्थिति तनावपूर्ण है और राहुल गांधी के दौरे से कानून-व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। वहीं, कांग्रेस का दावा है कि यह सरकार द्वारा जानबूझकर उठाया गया कदम है ताकि विपक्ष के नेता जनता से सीधे संवाद न कर सकें। राहुल गांधी ने इस घटना को उनके संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन के रूप में देखा और कहा कि यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।
प्रियंका गांधी और कांग्रेस का रुख
प्रियंका गांधी ने इस मामले में राहुल का समर्थन करते हुए कहा कि लोगों से मिलना और उनकी समस्याएं सुनना विपक्ष के नेता का अधिकार है। उन्होंने प्रशासन के फैसले की आलोचना करते हुए इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि यह एक सोची-समझी रणनीति है।
6 दिसंबर का दौरा: कांग्रेस की रणनीति
राहुल गांधी का 6 दिसंबर को संभल जाने का फैसला कांग्रेस के लिए एक सियासी अवसर भी है। इस दिन दौरा करके कांग्रेस यह संदेश देना चाहती है कि वह न केवल संवेदनशील मुद्दों पर जनता के साथ खड़ी है, बल्कि संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध है।
राजनीतिक संदेश
राहुल गांधी का यह कदम भाजपा सरकार को चुनौती देने और कांग्रेस की मौजूदगी को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया है। यह दौरा न केवल संभल की हिंसा पर कांग्रेस के रुख को स्पष्ट करेगा, बल्कि देश भर में पार्टी को सक्रिय करने का भी प्रयास होगा।
6 दिसंबर को राहुल गांधी का प्रस्तावित संभल दौरा सिर्फ एक घटना स्थल का निरीक्षण नहीं, बल्कि कांग्रेस की सियासी रणनीति और लोकतांत्रिक मूल्यों की पुनर्स्थापना का प्रयास है। यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस बार उनकी यात्रा को कैसे संभालता है और इसका राज्य की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।