अंबेडकर पर क्यों मचा बवाल? Amit Shah के बयान पर विपक्षी दल क्यों हमलावर, मायावती ने भी दी प्रतिक्रिया

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डॉ. भीमराव अंबेडकर को लेकर दिए गए केंद्रीय गृह मंत्री Amit Shah के बयान ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। उनके बयान पर विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और इसे दलित समुदाय के प्रति असंवेदनशील करार दिया है। वहीं, बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती ने भी इस पर अपनी नाराजगी जताते हुए एक बयान जारी किया है।

Amit Shah News: क्या है पूरा मामला?

हाल ही में, अमित शाह ने एक सार्वजनिक सभा में भारत के संविधान और डॉ. अंबेडकर की भूमिका पर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि अंबेडकर ने संविधान निर्माण के दौरान ‘कुछ चुनौतियों’ का सामना किया था और उनके योगदान को लेकर समाज में कई ‘गलत धारणाएं’ फैलाई गई हैं। विपक्ष ने उनके बयान को अंबेडकर की विरासत को कमतर दिखाने की कोशिश के रूप में देखा और इस पर कड़ा विरोध जताया।

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Amit Shah News: विपक्षी दलों का आरोप

विपक्षी दलों ने अमित शाह पर आरोप लगाया कि वह अंबेडकर की भूमिका को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं।

  • कांग्रेस ने कहा कि यह बयान दलितों और संविधान का अपमान है।
  • आरजेडी और सपा ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार अंबेडकर के नाम का इस्तेमाल करके दलित समुदाय को गुमराह करने की कोशिश कर रही है।
  • विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह बयान संविधान के प्रति बीजेपी की मानसिकता को दर्शाता है।

मायावती की प्रतिक्रिया

मायावती, जो अंबेडकर की विरासत को आगे बढ़ाने का दावा करती हैं, ने भी अमित शाह के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा,
“अंबेडकर का योगदान अमूल्य है और इसे किसी भी रूप में कम करके नहीं आंका जा सकता। बीजेपी सरकार बार-बार दलितों के अधिकारों पर हमला कर रही है, और यह बयान उसी मानसिकता का हिस्सा है।”
उन्होंने बीजेपी पर अंबेडकर के नाम का राजनीतिक इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया।

बीजेपी का पक्ष

विवाद बढ़ने के बाद बीजेपी नेताओं ने स्पष्ट किया कि अमित शाह के बयान को गलत संदर्भ में लिया गया है। उनका कहना है कि शाह ने सिर्फ अंबेडकर की चुनौतियों और संघर्षों को उजागर किया था। बीजेपी ने यह भी दावा किया कि वह अंबेडकर के विचारों को आत्मसात करके समाज को एकजुट करने का काम कर रही है।

राजनीतिक मायने

अंबेडकर का नाम भारत की राजनीति में हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। हर पार्टी उन्हें अपना आदर्श बताती है और उनके विचारों को अपनाने की बात करती है। अमित शाह के बयान को लेकर हो रही यह बहस दलित राजनीति के केंद्र में है, और आगामी चुनावों को देखते हुए यह विवाद और गहरा सकता है। अंबेडकर पर मचा यह बवाल दिखाता है कि उनकी विरासत आज भी भारतीय राजनीति में कितनी प्रासंगिक है।

अमित शाह का बयान राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है, और विपक्षी दल इसे बीजेपी के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। इस पूरे मामले ने अंबेडकर के विचारों और उनके योगदान पर नए सिरे से चर्चा छेड़ दी है।

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