सहायक आचार्य नियुक्ति के लिए प्रयासरत Jharkhand के पारा शिक्षकों को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने क्वालिफाइंग मार्क्स में छूट देने के प्रावधान को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द कर दिया। यह निर्णय चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने सुनाया।
क्या था मामला?
राज्य सरकार ने 2024 में सहायक आचार्य प्रोन्नति नियमावली में संशोधन करते हुए पारा शिक्षकों को क्वालिफाइंग मार्क्स में छूट दी थी। पूर्व की नियमावली के तहत न्यूनतम 30% क्वालिफाइंग अंक लाने का प्रावधान था, लेकिन नई नियमावली में पारा शिक्षकों को केवल परीक्षा में उपस्थित होना पर्याप्त माना गया।
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कोर्ट की सुनवाई और निर्णय
प्रार्थियों ने नई नियमावली को चुनौती दी, इसे असंवैधानिक बताया और रद्द करने की अपील की। कोर्ट ने 11 दिसंबर को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे शुक्रवार को सुनाया गया। अदालत ने छूट का प्रावधान रद्द कर दिया, जिससे पारा शिक्षकों को अब न्यूनतम क्वालिफाइंग मार्क्स लाना अनिवार्य होगा।
प्रभाव और चुनौतियां
- नियुक्ति परीक्षा पर असर:
सहायक आचार्य के 26,001 पदों में से आधे, यानी 13,000, पारा शिक्षकों के लिए आरक्षित हैं। इनमें से कई पारा शिक्षक पात्रता परीक्षा पास नहीं कर पाएंगे, जिससे इन पदों का खाली रहना संभावित है। - सीधे समायोजन की मांग:
झारखंड प्रदेश सहायक अध्यापक संघ ने 20-25 वर्षों से सेवा दे रहे पारा शिक्षकों के लिए 13,000 पदों पर सीधा समायोजन करने की अपील की है। - सीटेट मामले की स्थिति:
सीटेट पास अभ्यर्थियों से जुड़े एक अन्य मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई लंबित है। फैसले के आधार पर इन अभ्यर्थियों को लाभ मिलने या न मिलने की स्थिति साफ होगी।
निष्कर्ष
कोर्ट के इस निर्णय से पारा शिक्षकों के लिए सहायक आचार्य बनने का रास्ता कठिन हो गया है। नई नियमावली को रद्द किए जाने के बाद, नियुक्ति प्रक्रिया में कई बदलाव और संभावित रिक्तियों का सामना करना पड़ेगा।