झारखंड के CM Hemant Soren को खनन लीज आवंटन मामले में हाईकोर्ट से झटका लगा है. हाईकोर्ट ने सोरेन को याचिका में पाई गई त्रुटियों को दूर करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है. यह मामला उस याचिका से जुड़ा है जिसे हेमंत सोरेन ने तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस द्वारा निर्वाचन आयोग से दोबारा मंतव्य मांगे जाने के खिलाफ दायर किया था.
शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान हेमंत सोरेन की ओर से कोई भी अधिवक्ता पेश नहीं हुआ जिससे उनकी स्थिति और भी जटिल हो गई. सोरेन ने याचिका में राज्यपाल के निर्णय पर रोक लगाने की मांग की है जिसमें कहा गया है कि राज्यपाल द्वारा निर्वाचन आयोग से दोबारा मंतव्य मांगना असंवैधानिक है.
सोरेन का तर्क है कि चुनाव आयोग ने पहले ही खनन लीज आवंटन मामले में अपना मंतव्य राज्यपाल को भेज दिया था लेकिन इसके बावजूद राज्यपाल ने इसे दोबारा मांगकर संवैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन किया है. उन्होंने इस पर रोक लगाने का आग्रह किया है ताकि उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का अवसर मिल सके.
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मामले की जटिलता को देखते हुए हाईकोर्ट ने हेमंत सोरेन को याचिका की त्रुटियों को दूर करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है. अब देखना होगा कि इस अवधि में सोरेन अपनी याचिका को किस प्रकार सुधारते हैं और इसका अगली सुनवाई पर क्या प्रभाव पड़ता है. यह मामला झारखंड की राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है क्योंकि मुख्यमंत्री पर लगे आरोप और उनसे जुड़े संवैधानिक विवाद राज्य की राजनीतिक स्थिति को प्रभावित कर सकते है.