सारण जिले के बनियापुर थाना क्षेत्र के लौवां कला गांव का लाल Deepak Kumar Yadav जो भारतीय सेना के पैरा स्पेशल फोर्स में हवलदार के पद पर कार्यरत थे शनिवार को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गए. इस वीर जवान की शहादत की खबर से पूरा गांव सदमे में है और उनके घर पर मातम का माहौल छाया हुआ है.
शनिवार को अनंतनाग के कोकरनाग के जंगलों में आतंकवादियों की घुसपैठ की सूचना मिलने पर सेना और आरपीएफ के जवानों ने संयुक्त ऑपरेशन शुरू किया था. इस ऑपरेशन में बनियापुर के वीर सपूत दीपक भी शामिल थे. अंधेरे का फायदा उठाते हुए आतंकवादियों ने अचानक ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. इस मुठभेड़ में दीपक को सीने में गोली लगी लेकिन उन्होंने घायल अवस्था में भी बहादुरी से लड़ाई जारी रखी और अंततः देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए.
दीपक कुमार के शहीद होने की खबर के साथ ही लौवां कला गांव में मातम छा गया. गांव के लोग जिनमें युवा, बुजुर्ग और बच्चे शामिल हैं सभी शहीद दीपक को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके घर पर जुट गए हैं. शहीद के पार्थिव शरीर को पटना एयरपोर्ट पर लाया गया जहां उन्हें राजकीय सम्मान के साथ सलामी दी गई. इसके बाद पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव लाया गया जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया.
शहीद दीपक की पत्नी अनिता देवी और आठ साल का बेटा अमित इस दुखद घटना से स्तब्ध हैं. परिवार के अन्य सदस्य और गांव के लोग उन्हें सांत्वना देने की कोशिश कर रहे हैं. शहीद के बड़े भाई बिजेंद्र यादव भी थल सेना में कार्यरत हैं और इस कठिन समय में वे भी परिवार के साथ हैं. दीपक की शहादत ने न केवल उनके परिवार को बल्कि पूरे सारण जिले को गर्वित किया है.
यह भी पढ़े: Purnia Tanishq ज्वैलरी शोरूम लूट: CCTV में कैद कपड़ों को जलाया अपराधियों ने
उनका बलिदान जिलेवासियों के लिए एक गौरवशाली क्षण के रूप में याद किया जाएगा और यह त्याग देश के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा. वीर सपूत दीपक की शहादत देश के उन अनगिनत सैनिकों की वीरगाथा का हिस्सा है जो हर दिन अपनी जान की बाजी लगाकर हमारी सुरक्षा करते हैं.