स्वतंत्रता दिवस समारोह में Rahul Gandhi को पीछे बैठने पर मचा बवाल

स्वतंत्रता दिवस समारोह में कांग्रेस और सरकार के बीच तीखी तकरार देखने को मिली जब कांग्रेस ने Rahul Gandhi को लाल किले पर आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में पीछे की पंक्ति में बैठाने पर गंभीर आपत्ति जताई.

कांग्रेस पार्टी ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीति से प्रेरित कुंठा करार दिया और कहा कि यह घटना सरकार की लोकतांत्रिक मूल्यों और परंपराओं के प्रति उदासीनता को दर्शाती है. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने इस मुद्दे पर जोरदार प्रतिक्रिया देते हुए कहा “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को जानबूझकर पीछे की पंक्ति में बिठाया गया.

यह न सिर्फ प्रधानमंत्री की छोटी मानसिकता का प्रतीक है बल्कि लोकतंत्र का अपमान भी है. हालांकि राहुल गांधी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उनके लिए देश की सेवा सर्वोपरि है.”

‘वरीयता तालिका के मुताबिक हुई थी पूरी व्यवस्था’

सरकार की तरफ से इस आरोप का खंडन किया गया और सरकारी सूत्रों ने स्पष्ट किया कि समारोह में बैठने की व्यवस्था वरीयता तालिका के अनुसार की गई थी. उन्होंने बताया कि इस साल पेरिस ओलंपिक के पदक विजेताओं को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में सम्मानित करने का निर्णय लिया गया था इसलिए उन्हें आगे की पंक्ति में बिठाया गया.

सरकारी सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी को पीछे बैठाने का कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं था बल्कि यह पूरी तरह से वरीयता तालिका के अनुसार था.

इससे Rahul Gandhi की प्रतिष्ठा पर कोई असर नहीं पड़ेगा

सुप्रिया श्रीनेत ने अपने बयान में तंज कसते हुए कहा “छोटे दिल के लोगों से बड़ी चीजों की उम्मीद करना बेकार है. नरेंद्र मोदी ने इस कदम के जरिए अपनी व्यक्तिगत कुंठा को उजागर किया है लेकिन इससे राहुल गांधी की प्रतिष्ठा पर कोई असर नहीं पड़ेगा. वे हमेशा देश और लोकतंत्र की भलाई के लिए काम करते रहेंगे.”

इस घटना के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर से सरकार पर लोकतंत्र की अवहेलना का आरोप लगाया है जबकि सरकार ने इसे मात्र प्रोटोकॉल का पालन बताया है. दोनों पक्षों के बीच इस मुद्दे को लेकर तनाव बना हुआ है और यह देखना दिलचस्प होगा कि इस पर आगे क्या प्रतिक्रिया सामने आती है. कांग्रेस ने एक बार फिर से स्वतंत्रता दिवस समारोह में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को पीछे की पंक्ति में बैठाने पर कड़ी नाराजगी जताई है.

पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा “नेता प्रतिपक्ष का दर्जा कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है. जब सरकार के मंत्री पहली पंक्ति में बैठे थे तो यह साफ है कि सरकार के अंदर लोकतंत्र और उसकी परंपराओं के प्रति कोई सम्मान नहीं बचा है.”

सुप्रिया श्रीनेत ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि रक्षा मंत्रालय का बयान सरकार की असली मंशा को उजागर कर रहा है. उन्होंने कहा “सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्री राहुल गांधी से न सिर्फ दूरी बनाते हैं बल्कि उनके सामने असहज भी महसूस करते हैं. राहुल गांधी चाहे पांचवीं पंक्ति में बैठें या पचासवीं वे जनता के नायक बने रहेंगे। लेकिन सवाल यह है कि आप लोग ऐसी नीच हरकतें कब बंद करेंगे?”

‘नेता प्रतिपक्ष का दर्जा कैबिनेट मंत्री का होता है’

कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने भी इस घटना पर सवाल उठाते हुए अपने विचार साझा किए. उन्होंने एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा “रक्षा मंत्रालय इतना तुच्छ व्यवहार क्यों कर रहा है? लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी चौथी पंक्ति में बैठे हैं जबकि उनका दर्जा किसी भी कैबिनेट मंत्री से ऊपर है. लोकसभा में वे प्रधानमंत्री के बाद दूसरे सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं. राजनाथ सिंह जी आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी कि आप रक्षा मंत्रालय के राष्ट्रीय कार्यक्रमों का राजनीतिकरण होने देंगे.”

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इस मुद्दे ने राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया है जहां कांग्रेस सरकार पर लोकतांत्रिक परंपराओं के उल्लंघन का आरोप लगा रही है. वहीं सरकार का कहना है कि बैठने की व्यवस्था पूरी तरह से प्रोटोकॉल के अनुसार थी. इस विवाद से दोनों पक्षों के बीच तल्खी बढ़ गई है और अब यह देखना होगा कि सरकार इस पर क्या सफाई देती है.

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