बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Chunav 2025) को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियों को धार देना शुरू कर दिया है।
चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, सभी पार्टियां वोटरों को साधने और अपने आधार को मजबूत करने की होड़ में हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस ने अनुसूचित जाति से आने वाले राजेश राम को बिहार प्रदेश अध्यक्ष बनाकर एक अहम संदेश दे दिया है।
राहुल गांधी का रणनीतिक संकेत
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अपनी बिहार यात्रा के दौरान कांग्रेस के कार्यक्रमों में खुलकर अनुसूचित समाज के प्रति पार्टी की प्रतिबद्धता जताई। साथ ही, कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे दिवंगत नेता जगलाल चौधरी की जयंती पर अपने पुराने रुख को स्पष्ट कर राहुल ने समाज के बीच भरोसा कायम करने की कोशिश की।
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इससे साफ है कि कांग्रेस अपने पारंपरिक वोट बैंक को फिर से साधने के लिए इस बार पूरी ताकत झोंकने के मूड में है, और विधानसभा चुनाव के लिए जमीनी तैयारी शुरू हो चुकी है।
भाजपा ने 20% वोट बैंक पर साधा निशाना
कांग्रेस की सक्रियता को देखते हुए भाजपा ने भी अपने पत्ते खोल दिए हैं। अनुसूचित समाज के करीब 20% वोट बैंक को रिझाने के लिए भाजपा ने आंबेडकर जयंती को एक बड़े मौके के रूप में चुना है। इसी उद्देश्य से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग के नेतृत्व में एक राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
भाजपा कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया गया है कि वे प्रधानमंत्री मोदी सरकार द्वारा पिछले दस वर्षों में अनुसूचित समाज के लिए किए गए कामों को हर घर तक पहुंचाएं। इसके साथ ही, डॉ. भीमराव आंबेडकर के साथ कांग्रेस द्वारा किए गए “अन्याय” को भी प्रमुखता से बताया जाए।
अब भाजपा का अनुसूचित जाति मोर्चा राज्य भर में पखवारे भर तक गांव-गांव कार्यक्रम आयोजित कर पार्टी की नीति और कार्यों को प्रचारित करेगा।
राजद और जदयू भी पीछे नहीं
राजद और जदयू ने भी आंबेडकर जयंती को राजनीतिक हथियार बनाने की पूरी तैयारी कर ली है। राजद जहां पंचायत स्तर तक कार्यक्रम आयोजित कर अनुसूचित समाज को अपने पक्ष में करने की रणनीति पर काम कर रही है, वहीं जदयू ने राज्यस्तरीय आयोजन के जरिए अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास शुरू किया है।
राजग और महागठबंधन के अन्य घटक दल भी आंबेडकर जयंती के बहाने अनुसूचित समाज को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते।
बिहार में आगामी चुनाव के मद्देनज़र सभी प्रमुख दल अनुसूचित जाति वोट बैंक को लेकर बेहद सतर्क और सक्रिय हो चुके हैं। आने वाले दिनों में यह वर्ग चुनावी रणनीति का केंद्र बिंदु बना रहेगा, और सभी दल इस 20% से अधिक वोट बैंक को अपने पाले में करने की पुरज़ोर कोशिश करेंगे।