Bihar News: बिहार की राजनीति एक बार फिर सुर्खियों में है। महागठबंधन में लंबे समय से चल रही चर्चाओं के बाद आखिरकार तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया गया। इस फैसले ने एक बार फिर साबित कर दिया कि तेजस्वी की राजनीतिक जिद के आगे सहयोगी दलों को झुकना पड़ा।

सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस भी तेजस्वी के नेतृत्व पर सहमत हो गई, हालाँकि पार्टी के कई नेता इसे “मजबूरी में लिया गया फैसला” मानते हैं। तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किए जाने के बाद, गठबंधन के नेताओं ने एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की, लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) पर किसी ने कोई टिप्पणी नहीं की।
राजनीतिक दलों में इस बात की चर्चा तेज़ हो गई है कि JMM के अलग रुख पर किसी ने भी खेद नहीं जताया या उससे बातचीत की कोशिश नहीं की। इससे यह सवाल उठता है कि क्या बिहार का महागठबंधन अब झारखंड की राजनीति से खुद को अलग कर रहा है, या यह एक रणनीतिक फैसला है।
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अब सबकी निगाहें झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर टिकी हैं, जिन्होंने गठबंधन की राजनीति में लंबे समय से धैर्य और संतुलन का परिचय दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि हेमंत का साहस ज़्यादा भारी पड़ता है या तेजस्वी की जिद।






