Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (BSP) का खाता खोलने वाले इकलौते विधायक सतीश यादव पिंटू ने दिल्ली में पार्टी सुप्रीमो मायावती से मुलाकात की। रामगढ़ सीट से महज 30 वोटों के अंतर से रोमांचक जीत दर्ज करने वाले सतीश ने इस मुलाकात को भावुक बताते हुए कहा कि “बहनजी का दिल एक मां की तरह एकदम निश्छल है।”

दिल्ली में मुलाकात और मायावती की चेतावनी
सतीश यादव ने मायावती के साथ अपनी तस्वीर साझा की और उनका आशीर्वाद लिया। इस मुलाकात के दौरान रामगढ़ में मतगणना के दिन हुए हंगामे का मुद्दा भी उठा। मायावती ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए सोशल मीडिया पर अपनी बात रखी।
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मायावती की मांग: उन्होंने मतगणना के दिन हुए बवाल को लेकर बसपा के 250 कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमे का विरोध किया है।
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पुलिस को नसीहत: बसपा प्रमुख ने मांग की है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और जब तक जांच पूरी न हो जाए, पुलिस किसी भी कार्यकर्ता को गिरफ्तार न करे और न ही कोई दंडात्मक कार्रवाई करे।
मात्र 30 वोटों का रोमांच: रामगढ़ का रण
सतीश यादव की जीत बिहार चुनाव की सबसे रोमांचक जीतों में से एक रही।
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कड़ा मुकाबला: उन्होंने रामगढ़ सीट से भाजपा के मौजूदा विधायक अशोक सिंह को हराया। जीत का अंतर सिर्फ 30 वोट रहा।
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त्रिकोणीय संघर्ष: इस सीट पर राजद के कद्दावर नेता जगदानंद सिंह के बेटे अजित सिंह तीसरे नंबर पर रहे।
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पुराना हिसाब बराबर: सतीश यादव के लिए यह जीत खास है क्योंकि 2024 के उपचुनाव में वे इसी सीट पर भाजपा के अशोक सिंह से 1362 वोटों से हार गए थे। इस बार उन्होंने पिछली हार का बदला लेते हुए 5 साल के कार्यकाल वाली विधायकी जीत ली है।
चाचा की विरासत और RJD से ‘बदला’
सतीश यादव एक राजनीतिक परिवार से आते हैं और उनकी यह जीत उनके चाचा अंबिका यादव की विरासत को आगे बढ़ा रही है।
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राजनीतिक सफर: उनके चाचा अंबिका यादव 2009 और 2010 में राजद के टिकट पर रामगढ़ से विधायक रह चुके हैं।
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टर्निंग पॉइंट: 2020 में जब राजद ने अंबिका यादव का टिकट काटकर जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह को दे दिया, तो अंबिका यादव ने बसपा का दामन थाम लिया था। उस चुनाव में वे महज 189 वोटों से हार गए थे। अब उनके भतीजे सतीश ने उसी बसपा के सिंबल पर जीत दर्ज कर चाचा की हार का बदला ले लिया है।






